पोप ने भारतीय नन मरियम को निधन के 93 साल बाद दी संत की उपाधि

सिस्टर मरियम को संत की उपाधि मिलने से केरल में उत्सव का माहौल है। राज्य के कैथोलिक चर्चो में विशेष प्रार्थना आयोजित की गई।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 13 Oct 2019 10:43 PM (IST) Updated:Sun, 13 Oct 2019 10:43 PM (IST)
पोप ने भारतीय नन मरियम को निधन के 93 साल बाद दी संत की उपाधि
पोप ने भारतीय नन मरियम को निधन के 93 साल बाद दी संत की उपाधि

वेटिकन सिटी, प्रेट्र। दुनिया भर में कैथोलिक ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने रविवार को भारतीय नन मरियम थ्रेसिया को संत की उपाधि प्रदान की। वेटिकन सिटी के सेंट पीटर्स स्क्वायर में आयोजित पवित्र समारोह में पोप ने केरल की दिवंगत नन को यह उच्च धार्मिक दर्जा दिए जाने का एलान किया। लड़कियों की शिक्षा के लिए भगीरथ प्रयास करने वाली सिस्टर थ्रेसिया को उनके निधन के 93 साल बाद यह उपाधि दी गई। समारोह में विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।

भारतीय नन समेत पांच को मरणोपरांत संत की उपाधि 

पवित्र धार्मिक समारोह में भारतीय नन के साथ चार अन्य ईसाई धर्म गुरुओं को भी मरणोपरांत संत की उपाधि से विभूषित किया गया। इनमें ब्रिटिश कार्डिनल जॉन हेनरी न्यूमैन, स्विस लेवीमेन मार्गरेट बेज, ब्राजील की सिस्टर डुल्स लोप्स और इतालवी सिस्टर गिसेपिना वानीनि शामिल हैं।

संत घोषित हस्तियों में तीन महिलाएं

संत घोषित हस्तियों में तीन महिलाएं हैं। इस मौके पर पोप फ्रांसिस ने कहा, 'आज हम अपने नए संतों के लिए ईश्वर को धन्यवाद देते हैं।' समारोह में मौजूद हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने तीन महिलाओं के संत घोषित होने पर खुशी जताई। सिस्टर मरियम को उपाधि मिलने के साथ ही केरल के सीरियन मालाबार चर्च के पास अब चार संत हो गए हैं।

कौन हैं नन थ्रेसिया मरियम

26 अप्रैल, 1876 को केरल के त्रिशूर जिले के एक अमीर परिवार में जन्मीं सिस्टर मरियम थ्रेसिया 50 साल की उम्र में 8 जून 1926 को दुनिया को छोड़ गई थीं। सीरियन मालाबार चर्च से ताल्लुक रखने वाली नन मरियम के पिता का नाम मानकिडियन तोमा और मां का नाम तांडा था। उनकी दो अन्य बहनें थीं। 1914 में उन्होंने त्रिशूर में कांग्रीगेशन ऑफ द सिस्टर्स ऑफ द होली फैमिली (सीएचएफ) नामक धार्मिक संस्था की स्थापना की। उन्होंने कई स्कूल, हॉस्टल, अनाथालय भी स्थापित किए। सिस्टर मरियम को लड़कियों की शिक्षा और उनके सशक्तीकरण के वास्ते किए गए कामों के लिए याद किया जाता है। उनके द्वारा स्थापित संस्था सीएचएफ में अब करीब 2000 नन हैं।

बचपन में दोस्त संत कहकर बुलाते थे

सिस्टर मरियम ने मात्र 8 साल की उम्र में खुद को ईश्वर को समर्पित कर दिया। इतनी उम्र में वह व्रत भी रहने लगीं तथा सारा दिन प्रार्थना में व्यतीत करने लगी थीं। इसी कारण उनके बचपन के दोस्त उन्हें संत कह कर पुकारते थे। पोप जॉन पाल द्वितीय ने 9 अप्रैल, 2000 को सिस्टर थ्रेसिया को धन्य घोषित किया था।

पीएम मोदी भी सिस्टर मरियम के मुरीद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सिस्टर मरियम थ्रेसिया के मुरीद हैं। पिछले महीने 29 सितंबर को अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में मोदी ने सिस्टर थ्रेसिया को संत बनाए जाने की बात का जिक्र किया था। पीएम ने कहा था कि सिस्टर थ्रेसिया को संत की उपाधि दिया जाना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।

केरल में उत्सव का माहौल

सिस्टर मरियम को संत की उपाधि मिलने से केरल में उत्सव का माहौल है। राज्य के कैथोलिक चर्चो में विशेष प्रार्थना आयोजित की गई।

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