आर्मेनिया में रविवार को संसदीय चुनाव, निकोल पशिनयान के हार की वजह हो सकता है नागोर्नो-काराबाख
चुनाव में मुख्य रूप से दो दलों में मुकाबला है। पशिनयान के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ सिविक कॉन्ट्रैक्ट पार्टी और पूर्व राष्ट्रपति रॉबर्ट कोचरयान के आर्मीनिया अलायंस के बीच है। रॉबर्ट कोचरयान 1998 और 2008 के बीच राष्ट्रपति रह चुके हैं।
येरेवान (आर्मेनिया), एपी। पिछले साल आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच लगभग छह सप्ताह तक युद्ध चला जिसका असर आर्मेनिया के चुनाव पर पड़ सकता है। क्योंकि इस हार में आर्मेनिया ने नागोर्नो-काराबाख का हिस्सा गंवा दिया। इसी वजह से वहां की जनता में सत्तारूढ़ दल के खिलाफ आक्रोश का माहौल बना हुआ है। इसी वजह से जनता के रोष को शांत करने के लिए समय से पहले ही रविवार को चुनाव कराने का आह्वान किया। हालांकि यह चुनाव दिसम्बर 2023 में होना था। प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान को चुनाव में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रह है।
रूस की मध्यस्थता की वजह से आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच जंग का खत्म हुई। लेकिन प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान ने नवंबर में शांति समझौता किया। जिसमें अजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख और आसपास के क्षेत्रों के बड़े हिस्से पर नियंत्रण हासिल कर लिया। यह हिस्सा एक चौथाई सदी से अर्मेनियाई सेनाओं के नियंत्रण में था। समझौते के बाद अजरबैजान की राजधानी बाकू में जीत का जश्न मनाया जबकि येरेवान में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर गए। प्रधानमंत्री पशिनयान पर राष्ट्रीय हितों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया। पिछले कई महीने से प्रदर्शनकारी पशिनयान के इस्तीफे की मांग कर रहे थे।
येरेवन स्थित क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र के निदेशक रिचर्ड गिरगोसियन ने द एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि नागोर्नो-काराबाख के लड़ाई में बुरी तरह हारने के मद्देनजर यह चुनाव जनमत संग्रह की तरह है। तुर्की सेना के सहयोग से अजरबैजान के हमले ने आर्मेनिया की राजनीतिक को एक नए परिदृश्य से परिभाषित किया है।
सिंतबर 2020 के अंत में दोनों देशों के बीच छिड़ा युद्ध
नागोर्नो-कराबाख अजरबैजान के भीतर स्थित है लेकिन येरेवन में सरकार द्वारा समर्थित जातीय अर्मेनियाई बलों के नियंत्रण में था। 1994 में अलगाववादी के बीच युद्ध समाप्त हो गया। जिसके बाद यह पूर्ण रूप से अर्मेनियाई हाथों में आ गया। हालांकि सितंबर 2020 के अंत में दोनों देशों के बीच शत्रुता भड़क गई और अजरबैजानी सेना ने नागोर्नो-कराबाख और आसपास के क्षेत्रों में भारी तोपखाने और ड्रोन से हमला किया जिसमें 6,000 से अधिक लोग मारे गए
निकोल पशिनयान 2018 में अपने पूर्ववर्ती सरकार को कड़े विरोध प्रदर्शन से हटाकर सत्ता तक पहुंचे थे। उन्होंने समझौते का बचाव करते हुए कहा था कि अजरबैजान को रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी था। वरना नागोर्नो-काराबाख के पूरे क्षेत्र पर उनका नियंत्रण हो जाता।
वर्तमान में कार्यवाहक प्रधानमंत्री हैं पशिनयान
समय से पहले चुनाव के लिए पशिनयान ने प्रधानमंत्री पद से हट गए हैं और वर्तमान में कार्यवाहक प्रधानमंत्री हैं। रविवार को होने वाले चुनाव में 2,000 से ज्यादा मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इस चुनाव में 26 लाख मतदाता हिस्सा लेंगे। चुनाव में 21 राजनीतिक दल और चार गठबंधन शामिल है।
चुनाव में मुख्य रूप से दो दलों में मुकाबला है। पशिनयान के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ सिविक कॉन्ट्रैक्ट पार्टी और पूर्व राष्ट्रपति रॉबर्ट कोचरयान के आर्मीनिया अलायंस के बीच है। रॉबर्ट कोचरयान 1998 और 2008 के बीच राष्ट्रपति रह चुके हैं। नागोर्नो-काराबाख के रहने वाले कोचरयान ने देश की हिलती हुई सुरक्षा को मजबूत करने, आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और युद्ध और राजनीतिक तनाव से विभाजित समाज को समेटने के वादों पर चुनाव लड़ रहे हैं।
सरकार बनाने के लिए संसद की 54 फीसद सीटें जीतना है जरूरी
दोनों दलों ने चुनाव प्रचार के दौरान कठोर बयानबाजी का इस्तेमाल किया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पशिनयान की पार्टी और कोचरयान के गठबंधन के बीच कांटे का टक्कर होगा। सरकार बनाने के लिए संसद की 54 फीसद सीटें जीतना जरूरी है। हालांकि 46 वर्षीय पूर्व पत्रकार पशिनयान को नागोर्नो-कराबाख में हार और इस्तीफे के बावजूद व्यापक समर्थन मिल रहा है। जहां एक ओर येरेवन में उनको लेकर विरोध प्रदर्शन तेज हो गए। तो वही उन्होंने अपने समर्थन में रैली करने के लिए हजारों लोगों को सड़कों पर उतारा है। गुरूवार को अपनी अंतिम अभियान रैली के दौरान पशिनयान ने येरेवन में समर्थकों से कहा कि उन्होंने आर्मेनिया के सभी कोनों का दौरा किया है और हजारों लोगों से बात की है।