डब्ल्यूएचओ के लिए 'चेर्नोबिल' साबित हो सकती है महामारी : समिति

1986 में यूक्रेन में हुए परमाणु हादसे के बाद संयुक्त राष्ट्र आणविक एजेंसी में करना पड़ा था सुधार।कोरोना संकट के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन में सुधार के लिए दुनियाभर से उठ रही है मांग। कोरोन महामारी से निपटने के डब्ल्यूएचओ के तौर तरीकों की कड़ी आलोचना हुई।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 10:01 AM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 10:01 AM (IST)
डब्ल्यूएचओ के लिए 'चेर्नोबिल' साबित हो सकती है महामारी : समिति
डब्ल्यूएचओ के लिए 'चेर्नोबिल' साबित हो सकती है महामारी : समिति

जेनेवा, रायटर। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में बहु प्रतीक्षित सुधार के लिए कोरोना महामारी ठीक उसी तरह एक अनचाही दुर्घटना साबित हो सकती है, जिस तरह से संयुक्त राष्ट्र की परमाणु एजेंसी में सुधार के लिए चेर्नोबिल परमाणु हादसा साबित हुआ था। मंगलवार को एक स्वतंत्र समिति ने यह बात कही।

कोरोना महामारी के प्रति दुनिया के देशों की प्रतिक्रिया का आकलन करने के लिए गठित समिति ने कहा है कि डब्ल्यूएचओ के पास पर्याप्त अधिकार नहीं है और धन की भी कमी है। घातक बीमारियों के खिलाफ डब्ल्यूएचओ को सक्षम बनाने के लिए इसमें मौलिक सुधार की जरूरत है। लाइबेरिया की पूर्व राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सरलीफ इस समिति के सह अध्यक्ष हैं। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण की जानकारी देने में देरी करने का आरोप लगाया है।

कोरोन महामारी से निपटने के डब्ल्यूएचओ के तौर तरीकों की कड़ी आलोचना हुई थी। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस पर चीन का पक्ष लेने का आरोप भी लगा था। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने डब्ल्यूएचओ में सुधार की वकालत की थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को अमेरिका से मिलने वाले फंड को भी रोक दिया था।

समिति ने कहा कि डब्ल्यूएचओ और वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए कोरोना महामारी चेर्नोबिल साबित हो सकती है। बता दें कि तत्कालीन सोवियत संघ का हिस्सा रहे यूक्रेन में 25-26 अप्रैल, 1986 की रात चेर्नोबिल परमाणु बिजली घर में भीषण दुर्घटना हुई थी। परमाणु संयंत्र के एक रिक्टर में तापमान बढ़ जाने से भारी विस्फोट हुआ था, जिससे वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थ फैल गए थे। इसमें बड़ी संख्या में लोगों की जान गई थी और लाखों लोगों को विस्थापित किया गया था। इसका प्रभाव आज भी देखने को मिलता है। बताया जाता है कि इससे इतनी ज्यादा मात्रा में रेडियोधर्मी पदार्थ निकले जो हिरोशिमा एवं नागासाकी परमाणु हमले से 10 गुना ज्यादा था।

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