ईरान-अमेरिका के बीच क्‍या दोबारा होगी परमाणु डील, जानें- इस सवाल पर क्‍या है IAEA का जवाब

अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु डील को लेकर अटकलों का दौर जारी है। ऐसे में इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी का कहना है कि इसके लिए कुछ समय और इंतजार करना होगा। क्‍योंकि ईरान में अभी चुनाव होने हैं।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 03:18 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 03:21 PM (IST)
ईरान-अमेरिका के बीच क्‍या दोबारा होगी परमाणु डील, जानें- इस सवाल पर क्‍या है IAEA का जवाब
ईरान और अमेरिका के बीच दोबारा परमाणु करार को लेकर कयासबाजी जारी है

मिलान (रॉयटर्स)। ईरान और अमेरिका के बीच में वर्ष 2015 में हुए परमाणु करार को लेकर लगातार यही सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या ये दोबारा होगी या फिर इसकी जगह कोई दूसरी संधि सामने आएगी। फिलहाल यूएन न्‍यूक्लियर वाचडॉग इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आईएईए) ने इन अटकलों को विराम देने की कोशिश की है। यूएन वाचडॉग को कहना है कि फिलहाल इसके लिए ईरान में नई सरकार के गठन तक का इंतजार करना होगा। बुधवार को जारी एक बयान में एजेंसी ने कहा है कि इसके लिए दोनों ही तरफ से मजबूत इच्‍छाशक्ति की दरकार है। एजेंसी का कहना है कि दोनों ही पक्ष इस बात को बखूबी जानते हैं कि फिलहाल ईरान में नई सरकार के बनने तक इंतजार करना जरूरी है।

यूएन न्‍यूक्लियर वाचडॉग आईएईए के महासचिव राफेल ग्रोसी ने इटली के एक अखबार डेली ला रिपब्लिका से हुए एक इंटरव्‍यू के दौरान ये बात कही हैं। उनसे इंटरव्‍यू के दौरान पूछा गया था कि ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु करार की बातचीत कहां तक पहुंची है। ईरान सरकार के प्रवक्‍ता के मुताबिक में शुक्रवार को राष्‍ट्रपति चुनाव होना है। माना जा रहा है ईरान में नई सरकार के कैबिनेट की घोषणा इस वर्ष अगस्‍त तक कर दी जाएगी। 3 अगस्‍त को ईरान के मौजूदा राष्‍ट्रपति हसन रुहानी का कार्यकाल खत्‍म हो रहा है।

इस बीच ईरान से परमाणु डील को लेकर छठे राउंड की बातचीत शनिवार को वियना में होनी है। इसमें दुनिया की बड़ी ताकतें हिस्‍सा लेंगी। ग्रोसी का कहना है कि आईएईए अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु डील को लेकर होने वाली किसी वार्ता में सीधेतौर पर हिस्‍सा नहीं लेगा लेकिन वो ईरान के परमाणु संयत्रों की जांच और उनकी निगरानी का काम जरूर करता रहेगा।

उनका ये भी कहना है कि परमाणु डील के मुद्दे पर कुछ और या लंबे समय तक चर्चा चल सकती है। उनके मुताबिक इस डील को लेकर कई सारी पेचीदगियां हैं और कई तकनीकी सवाल भी हैं। इसके बावजूद इस डील का होना या न होना पूरी तरह से राजनीतिक इच्‍छाशक्ति पर ही निर्भर है।

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