चीन-अमेरिका के बीच परमाणु हथियारों की होड़, ड्रैगन से वार्ता की पहल कर सकता है बाइडन प्रशासन
अमेरिका अब चीन के साथ नाभिकीय क्षमता के मुद्दे पर बात करने की कोशिश में है। बाइडन व उनके शीर्ष सहयोगी इस योजना पर धीमी गति से अमल करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच पहली वार्ता आकस्मिक टकराव न होने देने के मुद्दे पर हो।
वाशिंगटन, एजेंसी। दुनिया की दो बड़ी आर्थिक शक्तियों के बीच न तो कभी प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी मिसाइल रक्षा प्रणाली के मुद्दे पर बात हुई, न ही कभी विवाद की स्थिति में अमेरिकी उपग्रहों को निष्कि्रय करने संबंधी चीनी प्रयोगों पर चर्चा। चीन ने हमेशा ही परमाणु निरस्त्रीकरण संबंधी अमेरिकी विचारों को खारिज किया है। उसका स्पष्ट रूप से कहना है कि अमेरिका और रूस के पास चीन से पांच गुना ज्यादा परमाणु हथियार मौजूद हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इन स्थितियों में बदलाव लाना चाहते हैं।
बाइडन व उनके शीर्ष सहयोगी इस योजना पर शुरू किया काम
अमेरिका अब चीन के साथ नाभिकीय क्षमता के मुद्दे पर बात करने का प्रयास कर रहा है। अमेरिकी अधिकारी बताते हैं कि बाइडन व उनके शीर्ष सहयोगी इस योजना पर धीमी गति से अमल करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच पहली वार्ता आकस्मिक टकराव न होने देने के मुद्दे पर हो। इसके बाद दोनों देशों की नाभिकीय रणनीति और साइबरस्पेस पर हमले के कारण पैदा होने वाली अस्थिरता पर चर्चा की जाए। अंत में कुछ वर्षो बाद दोनों देश निरस्त्रीकरण के मुद्दे पर बात करें। इसे लेकर दोनों देशों में राजनीतिक रूप से कम जटिल संधि हो सकती है या ऐसा कोई समझौता हो सकता है, जिसके तहत व्यवहार के सामान्य नियम तय किए जाएं।
हाइपरसोनिक व अंतरिक्ष व साइबर हथियारों की दौड़ शुरू
बाइडन के सहयोगी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि हाइपरसोनिक, अंतरिक्ष व साइबर हथियारों की दौड़ की वजह से स्थितियां तनावपूर्ण होती जा रही हैं। शह-मात के खतरनाक खेल शुरू होने की भी आशंका है। डर है कि शीतयुद्ध की परमाणु प्रतियोगिता में अंतरिक्ष उपग्रह और कमांड एंड कंट्रोल प्रणाली को प्रभावित करने वाले हमलों में तेजी आ सकती है। ताकतवर होता चीन, अमेरिकी रक्षा प्रणाली में परमाणु हथियारों की मौजूदगी को कम करने की बाइडन की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है। इसी महीने अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने बताया था कि चीन की परमाणु क्षमता वर्ष 2030 तक तीन गुनी होकर एक हजार हथियारों तक पहुंच सकती है। अमेरिका की चिंता हथियारों की संख्या से जुड़ी नहीं है, बल्कि गैर पारंपरिक परमाणु हथियार संबंधी चीन की सोच से जुड़ी है।