जानिए किसे उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन ने चुना देश का प्रधानमंत्री

इस दौरान उत्तर कोरिया के परमाणु एवं मिसाइल विकास कार्यक्रम के प्रभारी री प्योंग चोल को वर्कर्स पार्टी की पोलित ब्यूरो का सदस्य चुना गया।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Fri, 14 Aug 2020 10:08 PM (IST) Updated:Fri, 14 Aug 2020 10:14 PM (IST)
जानिए किसे उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन ने चुना देश का प्रधानमंत्री
जानिए किसे उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन ने चुना देश का प्रधानमंत्री

सियोल, आइएएनएस। उत्तर कोरिया में सर्वोच्च नेता किम जोंग उन ने देश के प्रधानमंत्री पद पर किम टोक हुन को नियुक्त किया है। किम टोक की किम जेई रीयोंग के स्थान पर नियुक्ति की गई है। किम टोक सत्तारूढ़ दल के वाइस चेयरमैन के पद पर भी हैं। किम जोंग ने यह फैसला गुरुवार को सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी की पोलित ब्यूरो की प्योंगयांग में हुई बैठक के दौरान लिया। यह जानकारी उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी केसीएनए ने दी है।

इस दौरान उत्तर कोरिया के परमाणु एवं मिसाइल विकास कार्यक्रम के प्रभारी री प्योंग चोल को वर्कर्स पार्टी की पोलित ब्यूरो का सदस्य चुना गया। बैठक में सीमावर्ती केसोंग शहर से तीन हफ्ते का लॉकडाउन खत्म करने का भी फैसला किया गया। वहां पर उत्तर कोरिया से भागकर दक्षिण कोरिया गया एक व्यक्ति वापस आया था। जांच में उसमें कोरोना संक्रमण के लक्षण पाए गए थे। इसके बाद 24 जुलाई से केसोंग में लॉकडाउन लागू कर दिया गया था। किम जोंग ने कहा, कोविड-19 महामारी को नियंत्रण में रखने के लिए यह फैसला लिया गया था। अब जबकि स्थिति नियंत्रण में है, तब लॉकडाउन खत्म किया जा रहा है।

भारी बारिश और बाढ़ से उत्तर कोरिया की खेती हुई बर्बाद

बैठक में किम जोंग उन ने कहा, उत्तर कोरिया इस समय दो तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है। इस समय कोविड महामारी से बचाव के हर संभव उपाय किए जा रहे हैं, तो इसी समय प्राकृतिक आपदा आई हुई है। भारी बारिश और बाढ़ से देश की करीब 40 हजार हेक्टेयर भूमि की खेती बर्बाद हो गई है। साथ ही 16,680 रिहायशी मकान और 630 सरकारी इमारतों को भारी नुकसान हुआ है। प्राकृतिक आपदा से तमाम सड़कें, पुल इत्यादि को भी भारी नुकसान पहुंचा है। दक्षिण कोरिया ने कहा है कि वह पड़ोसी देश को मानवीय सहायता उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है। उल्लेखनीय है कि परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम जारी रखने के कारण उत्तर कोरिया लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। इससे उसकी हालत दिनों-दिन कमजोर होती जा रही है।

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