इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की उम्र बढ़ाने का खोजा नया तरीका, मेटेरियल साइंस के क्षेत्र के लिए काफी अहम है यह शोध
फेरोइलेक्टि्रक मेटेरियल का इस्तेमाल मेमोरीज कैपिसिटर्स एक्ट्यूएटर (मशीनी सिस्टम को गति या नियंत्रित करने वाला अवयव) तथा सेंसर जैसे कई डिवाइस में होता है। इन डिवाइसों का उपयोग कंप्यूटर मेडिकल अल्ट्रासाउंड जैसे उपकरणों में किया जाता है ।
कैनबरा (आस्ट्रेलिया), एएनआइ। यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के विज्ञानियों ने एक ऐसा तरीका खोजने का दावा किया है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की उम्र बढ़ाई जा सकेगी। इसे मेटेरियल साइंस के क्षेत्र में काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है कि फेरोइलेक्टि्रक मेटेरियल में 'थकान' (कमजोर पड़ना) की पूरी तस्वीर सामने आई है।
फेरोइलेक्टि्रक मेटेरियल का इस्तेमाल मेमोरीज, कैपिसिटर्स, एक्ट्यूएटर (मशीनी सिस्टम को गति या नियंत्रित करने वाला अवयव) तथा सेंसर जैसे कई डिवाइस में होता है। इन डिवाइसों का उपयोग कंप्यूटर, मेडिकल अल्ट्रासाउंड जैसे उपकरणों में होता है। इन उपकरणों में लगा फेरोइलेक्टि्रक मेटेरियल की कार्य क्षमता समय के साथ मैकेनिकल और इलेक्टि्रकल लोडिंग की वजह से घटने लगती है, जिसका परिणाम अंतत: सिस्टम फेल्योर के रूप में सामने आता है। इसे फेरोइलेक्टि्रक फटीग (थकान) कहते हैं। इसके कारण उपकरण के खराब होने से ई-कबाड़ काफी बढ़ता जा रहा है। दुनियाभर में हर साल लाखों टन ई-कचरा पैदा होता है।
नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है लेख
विज्ञानियों ने इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के जरिये रियल टाइम में फेरोइलेक्टि्रक फटीग को नैनोस्केल और एटमिक लेवल पर 'देखने' में सफलता पाई है। नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित शोध आलेख के मुताबिक, विज्ञानियों को उम्मीद है कि इससे भविष्य में फेरोइलेक्टि्रक नैनो डिवाइस की डिजाइन बनाने में बेहतर जानकारी मिल सकेगी और तदनुरूप उपकरणों की उम्र बढ़ाई जा सकेगी।