भारत के साथ घनिष्ठ संबंध जारी रखेगा जर्मनी का नया गठबंधन, चीन से शांति बनाए रखने की जताई उम्मीद

इस दस्तावेज में भारत और भारत-जर्मन रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के महत्व का एक मजबूत संदर्भ है। गठबंधन संधि में भारत का प्रमुख रूप से उल्लेख किया गया है जो दोनों देशों के बीच साझेदारी के लगातार बढ़ते महत्व का संकेत देता है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 08:37 AM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 08:37 AM (IST)
भारत के साथ घनिष्ठ संबंध जारी रखेगा जर्मनी का नया गठबंधन, चीन से शांति बनाए रखने की जताई उम्मीद
ओलाफ स्कोल्ज के नेतृत्व में नव निर्वाचित त्रिपक्षीय गठबंधन, जो सोशल डेमोक्रेट्स, ग्रीन्स और लिबरल के बीच गठित हुआ है,

बर्लिन, एएनआइ। जर्मनी में नए गठबंधन ने भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों की रूपरेखा तैयार की है और चीन से शांति, स्थिरता के लिए जिम्मेदार भूमिका निभाने की उम्मीद जताई है। ओलाफ स्कोल्ज के नेतृत्व में नव निर्वाचित त्रिपक्षीय गठबंधन, जो सोशल डेमोक्रेट्स, ग्रीन्स और लिबरल के बीच गठित हुआ है, ने कहा है कि जर्मनी का भारत के साथ गहरा संबंध बना रहेगा।

इस दस्तावेज में भारत और भारत-जर्मन रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के महत्व का एक मजबूत संदर्भ है। गठबंधन संधि में भारत का प्रमुख रूप से उल्लेख किया गया है, जो दोनों देशों के बीच साझेदारी के लगातार बढ़ते महत्व का संकेत देता है। हालांकि, गठबंधन ने दूसरी तरफ चीन से निपटने के लिए कड़ा रुख अख्तियार किया है। इसके मुताबिक गठबंधन को चीन के साथ अपने संबंधों को साझेदारी, प्रतिस्पर्धा और प्रणालीगत प्रतिद्वंद्विता के आयाम में आकार देना होगा। मानवाधिकारों और लागू अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर हम जहां भी संभव हो चीन के साथ सहयोग चाहते हैं। दस्तावेज में कहा गया है कि हम चीन के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा में निष्पक्ष नियम चाहते हैं।

गठबंधन दस्तावेज में यह भी उल्लेख किया गया है कि चीनी विदेश नीति से हमारी अपेक्षा यह है कि यह अपने पड़ोस में शांति और स्थिरता के लिए एक जिम्मेदार भूमिका निभाएगा। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों को किस आधार पर सुलझाया जाए।

दस्तावेज में ताइवान, शिंजियांग और हांगकांग के मुद्दों का भी जिक्र किया गया है। इसके मुताबिक, ताइवान की जलडमरूमध्य में यथास्थिति में बदलाव केवल शांतिपूर्वक और आपसी सहमति से हो सकता है। यूरोपीय संघ की एक-चीन नीति के हिस्से के रूप में हम अंतरराष्ट्रीय संगठनों में लोकतांत्रिक ताइवान की प्रासंगिक भागीदारी का समर्थन करते हैं। हम स्पष्ट रूप से चीन के मानवाधिकारों के उल्लंघन विशेष रूप से शिंजियांग में, पर चिंता व्यक्त करते हैं। दस्तावेज में कहा गया है कि हांगकांग में 'एक देश-दो प्रणाली' के सिद्धांत को फिर से लागू किया जाना चाहिए।

chat bot
आपका साथी