नेपाल की भारत सरकार से अपील, नेपाल विरोधी प्रसारण के खिलाफ उठाए कदम

नेपाल ने भारतीय मीडिया द्वारा नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली के खिलाफ दिखाए जा रहे प्रसारण को रोकने की मांग की है।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 02:09 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 02:09 PM (IST)
नेपाल की भारत सरकार से अपील, नेपाल विरोधी प्रसारण के खिलाफ उठाए कदम
नेपाल की भारत सरकार से अपील, नेपाल विरोधी प्रसारण के खिलाफ उठाए कदम

काठमांडू, पीटीआई। कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को लेकर भारत और नेपाल के संबंधों में तनाव चल रहा है। इस बीच नेपाल ने भारत को एक राजनयिक नोट भेजा है। इस नोट में नेपाल ने भारतीय मीडिया द्वारा दिखाई जा रही सामग्रियों को आधारहीन और अपमानजनक बताते हुए इसके खिलाफ कदम उठाने की मांग की है।

इससे पहले नेपाल ने गुरुवार को दूरदर्शन को छोड़कर सभी भारतीय निजी समाचार चैनलों के प्रसारण पर रोक लगा दी है। नेपाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि इन समाचार चैनलों ने देश की राष्ट्रीय भावना को आहत करने वाली रिपोर्टों को प्रसारित किया है। हालांकि, इस मुद्दे पर भारत की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

शुक्रवार को नई दिल्ली में नेपाल के दूतावास ने विदेश मंत्रालय (MEA) को राजनयिक नोट सौंपा। नेपाल के प्रधानमंत्री के एक सहयोगी के अनुसार, भारतीय मीडिया के एक वर्ग द्वारा प्रचारित सामग्री आधारहीन और असंवेदनशील होने के साथ-साथ नेपाल और नेपाली नेतृत्व के लिए अपमानजनक है।

इसमें आगे कहा गया है कि इस तरह की सामग्री न केवल भ्रामक और गलत सूचना देती है बल्कि न्यूनतम सार्वजनिक शालीनता की भावना को भी बिगाड़ती है। भारतीय मीडिया के एक वर्ग द्वारा फैलाया गए गैर-इरादतन अभियान ने नेपाली लोगों और नेपाली नेतृत्व की भावनाओं को गहरी चोट पहुंचाई है।

इस नोट में भारतीय अधिकारियों से अनुरोध किया गया है कि वे इन प्रकार की सामग्रियों के खिलाफ उपाय करें और सुनिश्चित करें कि ऐसी सामग्रियों को मीडिया में जगह न मिल सके। इस बीच फेडरेशन ऑफ नेपाली जर्नलिस्ट्स एंड प्रेस काउंसिल नेपाल ने भी भारतीय मीडिया के एक हिस्से की कुछ रिपोर्टों की निंदा की है।

बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 8 मई को उत्तराखंड के धारचूला से लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन करने के बाद भारत-नेपाल द्विपक्षीय संबंधों में तनाव पैदा हो गया था। नेपाल ने सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दावा किया कि यह नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरता है। भारत ने इस दावे को खारिज कर दिया कि सड़क पूरी तरह से उसके क्षेत्र में है। इसके बाद नेपाल ने एक संवैधानिक संशोधन के माध्यम से देश के राजनीतिक मानचित्र को अपडेट किया, जिसमें तीन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारतीय क्षेत्र शामिल थे।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कार्यशैली को लेकर सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में दरार पैदा हो गई है। भारत विरोधी बयानबाजी को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता ओली पर इस्तीफे के दबाव बना रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने ओली की आलोचना करते हुए कहा था कि उनकी हालिया भारत विरोधी टिप्पणी न तो राजनीतिक रूप से सही है और न ही राजनैतिक रूप से उचित है।

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