नेपाल सुप्रीम कोर्ट आदेश- अब नहीं बदली जाएगी पीठ की संरचना, 23 जून से रोजाना सुनवाई

संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि पिछली बार के विपरीत सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई प्रक्रिया को व्यवस्थित और सुव्यवस्थित करने के लिए कदम उठाने का प्रयास किया है। 23 जून से मामले की निरंतर सुनवाई होगी।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 02:17 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 02:17 PM (IST)
नेपाल सुप्रीम कोर्ट आदेश- अब नहीं बदली जाएगी पीठ की संरचना,  23 जून से रोजाना सुनवाई
प्रतिनिधि सभा को भंग करने के खिलाफ 30 रिट याचिकाएं दायर की गई है।

काठमांडू, पीटीआइ। नेपाल की सर्वोच्च न्यायालय की एक संवैधानिक पीठ ने प्रतिनिधि सभा को भंग करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इसकी संरचना पर किसी भी तरह की बहस पर विचार करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे गंभीर सार्वजनिक चिंता का विषय हैं और इसे जल्द निपटाने की जरूरत है। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा प्रतिनिधि सभा को भंग करने के खिलाफ 30 रिट याचिकाएं दायर की गई है।

राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिश पर 22 मई को पांच महीने में दूसरी बार सदन भंग किया था और 12 नवंबर और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की थी। सदन में विश्वास मत हारने के बाद प्रधानमंत्री ओली अल्पमत में है। मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा ने 28 मई को मामलों की सुनवाई के लिए बेंच का गठन किया था, लेकिन बेंच में जस्टिस तेज बहादुर केसी और बाम कुमार श्रेष्ठ की उपस्थिति के बारे में सवाल पूछे जाने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी गई थी।

प्रधान न्यायाधीश राणा ने रविवार को उनकी वरिष्ठता के आधार पर न्यायाधीशों को शामिल करते हुए पीठ का पुनर्गठन किया। नई बेंच में जस्टिस दीपक कुमार कार्की, मीरा खडका, ईश्वर खातीवाड़ा और आनंद मोहन भट्टराई सदस्य हैं। इसके बाद अटॉर्नी जनरल रमेश बादल सहित प्रधानमंत्री ओली का बचाव करने वालों ने जस्टिस कार्की और भट्टाराई की उपस्थिति पर सवाल उठाया, जिससे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई में देरी हुई।

काठमांडू पोस्ट ने गुरुवार को बताया कि पीठ ने बुधवार को कड़ा रुख अपनाया और अपनी रचना पर किसी भी तरह की बहस पर विचार करने से इनकार कर दिया। आदेश में कहा गया है, 'याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे गंभीर सार्वजनिक चिंता का विषय हैं और इसे बिना देर किए हल किए जाने की आवश्यकता है।' इसमें कहा गया है कि 23 जून से निरंतर सुनवाई शुरू होगी।

पीठ ने नेपाल बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के दो-दो वरिष्ठ अधिवक्ताओं से भी संक्षिप्त जानकारी मांगी है। अखबार ने कहा कि पीठ ने अधिवक्ताओं को अपनी दलीलें देने के लिए असीमित समय नहीं देकर सुनवाई की अवधि कम करने की रणनीति भी अपनाई है। दोनों पक्षों को दलीलें पेश करने के लिए अधिकतम 15 घंटे की अनुमति देने का फैसला किया है। इसी तरह, प्रत्येक न्याय मित्र को पीठ के समक्ष अपनी दलीलें पेश करने के लिए 30 मिनट का समय मिलेगा।

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