ओली का फिर अजीबोगरीब दावा, नेपाल से हुई योग की शुरुआत, तब टुकड़ों में बंटे भारत में कुछ नहीं था

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर नेपाल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अजीबोगरीब बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि योग का उदय नेपाल से हुआ है और यहीं से वह दुनिया में फैला। ओली ने कहा योग की शुरुआत भारत नहीं नेपाल में हुई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 09:34 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 12:25 AM (IST)
ओली का फिर अजीबोगरीब दावा, नेपाल से हुई योग की शुरुआत, तब टुकड़ों में बंटे भारत में कुछ नहीं था
नेपाल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा है कि योग का उदय नेपाल से हुआ है।

काठमांडू, एएनआइ। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर नेपाल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने अजीबोगरीब बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि योग का उदय नेपाल से हुआ है और यहीं से वह दुनिया में फैला। ओली ने कहा, योग की शुरुआत भारत नहीं नेपाल में हुई है। जिस समय योग की शुरुआत हुई उस समय भारत में कुछ नहीं हो रहा था। वह उस समय टुकड़ों में बंटा हुआ था।

ओली ने कहा कि योग की उत्पत्ति के संबंध में भारतीय विशेषज्ञ जो दावा करते हैं, वास्तव में वे तथ्यों को छिपाते हैं। टुकड़ों में बंटा भारत उस समय एक महाद्वीप या उप महाद्वीप जैसा था। ओली ने यह बात प्रधानमंत्री आवास में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2014 में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया था।

ओली इससे पहले भी ऐतिहासिक तथ्यों से परे बयान देते रहे हैं। जुलाई 2020 में उन्होंने भगवान राम के अयोध्या में नहीं नेपाल में जन्म लेने की बात कही थी। कहा था कि श्रीराम नेपाली थे। ओली ने असली अयोध्या अपने देश के बीरगंज जिले के थोरी में बताई थी, जहां श्रीराम का जन्म हुआ था। तब उन्होंने आरोप लगाया था कि भारत नकली अयोध्या तैयार कर सांस्कृतिक अतिक्रमण करने का कार्य कर रहा है।

ओली के दावे के उलट बीरगंज जिले में अयोध्या नाम का एक गांव है। वहां पर राजा दशरथ का राज होने के कोई सुबूत नहीं हैं। ओली ने यह दावा ऐसे वक्‍त में किया है जब नेपाल में सियासी उथल-पुथल जारी है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली खुद संसद को भंग करने के अपनी सरकार के विवादास्पद फैसले पर घिरे हुए हैं। बीते दिनों इसका बचाव करते हुए उन्‍होंने कहा था कि न्यायपालिका देश के प्रधानमंत्री की नियुक्ति नहीं कर सकती।  

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