नेपाल में सियासी हलचल के बीच, पीएम ओली ने सेना प्रमुख से की बात, अपने रुख पर अड़े प्रचंड
नेपाल में बढ़ी सियासी सरगर्मी के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश के सेना प्रमुख (COAS) जनरल पूर्ण चंद्र थापा के साथ बातचीत की है। जानें क्या मिल रहे हैं संकेत...
काठमांडू, एजेंसियां। नेपाल में बढ़ी सियासी सरगर्मी के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश के सेना प्रमुख (COAS) जनरल पूर्ण चंद्र थापा के साथ बातचीत की है। शनिवार शाम को पीएम केपी शर्मा ओली ने शीतल निवास पहुंचकर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मुलाकात और मंत्रियों के साथ एक बैठक की थी। बैठक के बाद पीएम ओली ने कहा था कि मौजूदा वक्त में पार्टी की एकता दांव पर है और कुछ भी हो सकता है, तैयार रहें...! प्रधानमंत्री ओली ने कहा था कि मेरे और राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के खिलाफ साजिशें रची जा रही हैं। इसे देखते हुए मुझको जबरदस्ती फैसले लेने पड़ सकते हैं।
प्रचंड और ओली के बीच मुलाकात बेनतीजा
मौजूदा वक्त में नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य उनकी विदेश नीति को लेकर उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। इससे प्रधानमंत्री ओली पर पद छोड़ने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है लेकिन उनकी सियासी गतिविधियों से यह साफ है कि वह इतनी आसानी से अपना पद नहीं छोड़ने वाले हैं। यही नहीं ओली के बयानों से यह भी संकेत मिल रहे हैं कि वे कोई बड़ा फैसला भी ले सकते हैं। रविवार को उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से मुलाकात की जिसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। प्रचंड और पीएम ओली के बीच भी मुलाकात हुई जो बेनतीजा बताई जाती है।
दोनों नेता अपने रुख पर अड़े
ओली के करीबी एक सूत्र ने बताया कि दोनों नेता अपने रुख पर अड़े हुए हैं। इसीलिए वे किसी समझौते पर नहीं पहुंच सके। प्रचंड का धड़ा प्रधानमंत्री ओली से त्यागपत्र की मांग कर रहा है। इस धड़े को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं माधव कुमार नेपाल और झालानाथ खनल का समर्थन हासिल है। द हिमालयन टाइम्स के मुताबिक, मौजूदा संकट के समाधान के लिए ओली और प्रचंड ने सोमवार सुबह अगले दौर की वार्ता करने का फैसला किया है। सत्तारूढ़ पार्टी में राजनीतिक गतिरोध के बीच प्रधानमंत्री ओली ने नेपाल के सेना प्रमुख जनरल पूर्ण चंद्र थापा से भी मुलाकात की है।
मतभेद खत्म करने की नाकाम कोशिश
सत्तारूढ़ एनसीपी में आंतरिक विवादों के बीच ओली और प्रचंड संसदीय सत्र के बाद से बैठकें करके मतभेद दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। 30 जून को हुई स्थायी समिति की बैठक में ओली को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा, जिसमें अधिकतर सदस्य उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे। बहुत सारे मुद्दों का समाधान करने में विफल रहने के कारण ओली को पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, खासकर जबसे उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि भारत उन्हें पद से हटाने की कोशिश कर रहा है।
भारत पर मढ़ा यह दोष
बहुत सारे मुद्दों का समाधान करने में विफल रहने के कारण ओली को पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। खासकर जबसे उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि भारत उन्हें पद से हटाने की कोशिश कर रहा है। इस बीच, त्यागपत्र की बढ़ती मांग के बीच ओली ने कहा कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी गंभीर संकट का सामना कर रही है और उन्होंने संकेत दिया कि इसका जल्द विभाजन हो सकता है। अपने आधिकारिक आवास पर कैबिनेट की बैठक के दौरान उन्होंने मंत्रियों से कहा कि हमारी पार्टी के कुछ सदस्य राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को भी पद से हटाना चाहते हैं।
साजिशें सफल नहीं होने दूंगा
इस बीच, ओली ने कहा कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी गंभीर संकट का सामना कर रही है और उन्होंने संकेत दिया कि इसका जल्द विभाजन हो सकता है। ओली का कहना है कि मुझे प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष के पद से हटाने के लिए साजिशें रची जा रही हैं। लेकिन, मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। ओली ने मंत्रियों से कहा है कि आप सभी को अब अपना रुख साफ करने और तैयार रहने की जरूरत है। काठमांडू पोस्ट की खबरों के अनुसार, ओली की इस टिप्पणी के बाद कि राष्ट्रपति को हटाने की साजिश रची जा रही है, तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों- प्रचंड, माधव नेपाल और झालानाथ खनल ने भंडारी ने मुलाकात की। उन्होंने उन्हें बताया कि उनको पद से हटाने की कोशिश करने की बात सही नहीं है।