नेपाल में राजनीतिक उथल पुथल जारी, 10 जुलाई तक स्थायी समिति की बैठक स्थगित

नेपाल की राजनीति में उथल पुथल जारी है। इस बीच नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्थायी समिति की बैठक 10 जुलाई सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी गई है।

By TaniskEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 09:33 AM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 09:33 AM (IST)
नेपाल में राजनीतिक उथल पुथल जारी, 10 जुलाई तक स्थायी समिति की बैठक स्थगित
नेपाल में राजनीतिक उथल पुथल जारी, 10 जुलाई तक स्थायी समिति की बैठक स्थगित

काठमांडू, पीटीआइ। नेपाल की राजनीति में उथल पुथल जारी है। एक बार नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्थायी समिति की अहम बैठक 10 जुलाई सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी गई है। देश के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने इसकी जानकारी दी है। बैठक को चौथी बार टालने का कारण सामने नहीं आया। इससे पहले सोमवार को इसे आज यानी आठ जुलाई तक के लिए टाल दिया गया था। अब इसे एक बार फिर टाल दिया गया है। जानकारी के अनुसार इस बैठक में के पी शर्मा ओली की राजनीतिक भविष्य का फैसला होना है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार पार्टी की अंदरूनी लड़ाई के बीच ओली से उनकी कार्यशैली और भारत विरोधी बयानों को लेकर इस्तीफा मांगी गई है। 

पार्टी के  सह-अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड सहित पार्टी के एक गुट ने प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने कहा है कि ओली की हालिया भारत विरोधी टिप्पणी 'न तो राजनीतिक रूप से सही है और न ही कूटनीतिक रूप से उचित है।' पार्टी के दोनों गुटों के बीच मतभेद प्रचंड द्वारा हाल ही में संसद के बजट सत्र को एकतरफा स्थगित करने का फैसला लेने के बाद बढ़ गया है। प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट ने ओली को प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष  के तौर पर दोनों मोर्चों पर विफल बताया और कहा गया कि उन्हें पद पर रहने का कोई नैतिक आधार नहीं है। ओली इस राजनीतिक संकट को लेकर प्रचंड से मुलाकात कर चुके हैं।

देश की विपक्षी पार्टियों ने मंगलवार को ओली सरकार की विदेश नीति की आलोचना करते हुए इसे अपरिपक्व बताया। उन्होंने कहा कि इससे पड़ोसी देशों से संबंध खराब हुए हैं। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी के नेताओं ने कहा कि अपरिपक्व विदेश नीति के चलते पड़ोसी देशों के साथ संबंध खराब हुआ है और यह बहुत जटिल बन गया है। अपनी सरकार के कदम के बाद से तीव्र आलोचना का सामना कर रहे हैं। 

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