नेपाल ने हिमालय व हिंद महासागर के बीच निर्बाध संपर्क का किया आह्वान, क्षेत्रीय सहयोग पर भी दिया बल

अबूधाबी में पांचवें हिंद महासागर सम्मेलन (Indian Ocean Conference) 2021 को संबोधित करते हुए नेपाल के विदेश सचिव भरत राज पौडयाल ने कहा कि नेपाल हिंद महासागर को काफी महत्व देता है और उसे आर्थिक लाइफलाइन मानता है ।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 10:43 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 10:43 PM (IST)
नेपाल ने हिमालय व हिंद महासागर के बीच निर्बाध संपर्क का किया आह्वान, क्षेत्रीय सहयोग पर भी दिया बल
नेपाली विदेश सचिव ने पांचवें हिंद महासागर सम्मेलन में रखी बात

काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल के विदेश सचिव भरत राज पौडयाल ने रविवार को कहा कि सरकार की प्राथमिकता देश के हिमालयी क्षेत्र को हिंद महासागर से जोड़ने की है। उन्होंने क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए बेहतर आर्थिक व क्षेत्रीय सहयोग पर बल दिया।

अबूधाबी में पांचवें हिंद महासागर सम्मेलन (आइओसी) 2021 को संबोधित करते हुए कहा कि नेपाल, हिंद महासागर को काफी महत्व देता है और उसे आर्थिक लाइफलाइन मानता है। उन्होंने कहा, 'नेपाल के हिमालयी क्षेत्रों व हिंद महासागर के बीच निर्बाध संपर्क स्थापित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय मदद की दरकार है।' उन्होंने कोरोना महामारी के इस दौर में वैक्सीन को लेकर आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी बल दिया।

हिंदूवादी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष चुने गए राजेंद्र लिंगडेन

नेपाल की हिंदू समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) की आमसभा में रविवार को सांसद राजेंद्र प्रसाद लिंगडेन ने निवर्तमान कमल थापा को मात देते हुए अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा कर लिया। लिंगडेन (58) को 1,844 मत मिले, जबकि कमल थापा (68) को 1,617 मत से संतोष करना पड़ा। लिंगडेन, पार्टी के एकमात्र सांसद हैं। विक्रम पांडे, बुद्धिमान तमांग व ध्रुव बहादुर प्रधान उपाध्यक्ष चुने गए। रोशन कर्की को महिला कोटे के तहत उपाध्यक्ष चुना गया। लिंगडेन के पैनल से धवल शमशेर राणा 2,221 मतों के साथ व थापा के पैनल से भुवन पाठक 1,805 के साथ महासचिव बने हैं। थापा ने अपनी हार के लिए पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को जिम्मेदार ठहराया और उन पर चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाया।

बता दें कि पांचवें हिंद महासागर (IOC) सम्मेलन में वैश्विक प्रणाली में शक्ति समानता को भी संबोधित किया गया। इसमें लगभग 200 प्रतिनिधि और 30 देशों के 50 से अधिक वक्ता मौजूद रहे। जिसमें समुद्र के बढ़ते स्तर, जलवायु परिवर्तन और क्षेत्र में तटीय राज्यों से संबंधित मुद्दों बड़ी चर्चा हुई।

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