हरित ऊर्जा कूटनीति का नया युग, भारत ने ISA को पर्यवेक्षक का दर्जा देने के लिए पेश किया प्रस्ताव
आइएसए को मील का पत्थर बताते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसे पर्यवेक्षक का दर्जा देने के लिए मसौदा प्रस्ताव पेश किया है। इससे जहां आइएसए व संयुक्त राष्ट्र के बीच नियमित सहयोग में मदद मिलेगी वहीं वैश्विक ऊर्जा के विकास में भी यह लाभदायक साबित होगा।
संयुक्त राष्ट्र, एजेंसी। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आइएसए) को मील का पत्थर बताते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसे पर्यवेक्षक का दर्जा देने के लिए मसौदा प्रस्ताव पेश किया है। इससे जहां आइएसए व संयुक्त राष्ट्र के बीच नियमित सहयोग में मदद मिलेगी, वहीं वैश्विक ऊर्जा के विकास में भी यह लाभदायक साबित होगा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने शुक्रवार को कहा कि भारत व फ्रांस की ओर से आइएसए को पर्यवेक्षक का दर्जा देने के लिए मसौदा प्रस्ताव पेश कर सम्मानित महसूस कर रहा हूं।
कानूनी मामलों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र महासभा की छठी समिति में मसौदा प्रस्ताव पेश करते हुए तिरुमूर्ति ने कहा, 'आइएसए अपने प्रयासों से सौर ऊर्जा के प्रसार के जरिये न्यायसंगत ऊर्जा समाधान पेश करेगा और इसके जरिये ग्रीन एनर्जी कूटनीति के नए दौर की शुरुआत होने की अपेक्षा है।' भारत व फ्रांस ने संयुक्त रूप से वर्ष 2015 में पेरिस में आयोजित 21वें कांफ्रेंस आफ पार्टीज आफ द यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन आन क्लाइमेट चेंज (सीओपी 21) के दौरान आइएसए को लांच किया था। ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, मिस्त्र समेत करीब दो दर्जन से ज्यादा देश इसके सह प्रायोजक हैं।
तिरुमूर्ति ने महासभा में कहा कि सौर ऊर्जा स्थापित करने के जरिए उचित और समान ऊर्जा समाधान करने के अपने प्रयासों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन से हरित ऊर्जा कूटनीति का नया युग शुरू होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि महासभा में आईएसए को पर्यवेक्षक का दर्जा देने से गठबंधन और संयुक्त राष्ट्र के बीच नियमित और अच्छी तरह परिभाषित सहयोग मुहैया होगा, जिससे वैश्विक ऊर्जा वृद्धि और विकास को लाभ मिलेगा। इंटरनेशनल सोलर अलायंस के लिए पेश हुए इस प्रस्ताव के सह-प्रायोजक देशों में अल्जीरिया, आस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, कम्बोडिया, कनाडा, चिली, क्यूबा, डेनमार्क, मिस्र, फिजी, फिनलैंड, आयरलैंड, इटली, जापान, मालदीव, मॉरिशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, ओमान, सेंट विन्सेंट और ग्रेनेडाइंस, सऊदी अरब, त्रिनिदाद और टोबैगो, संयुक्त अरब अमीरात तथा ब्रिटेन शामिल हैं।
तिरुमूर्ति ने कहा कि आइएसए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण, सौर ऊर्जा के भंडारण और सदस्य देशों को वित्तीय सहायता देने जैसे कुछ सवालों को हल करने की ओर बड़ा कदम उठा रहा है। आइएसए का लक्ष्य 2030 तक सौर ऊर्जा क्षेत्र को विकसित करने के लिए 1000 अरब डालर के निवेश की धारा बनाना है। साथ ही सौर ऊर्जा तकनीक के विकास व जोखिम निस्तारण को अधिक बेहतर बनाना है। इसमें सदस्य देशों में सौर ऊर्जा इस्तेमाल बढ़ाने के लिए आसान वित्तपोषण की व्यवस्था बनाने पर भी जोर है।