मंगल पर जिंदा रह सकते हैं पृथ्वी के सूक्ष्मजीव, NASA और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर के शोधकर्ताओं का दावा
मंगल ग्रह में जीवन संभावनाएं तलाशने के क्रम में विज्ञानियों ने एक और अहम जानकारी हासिल की है। उनका दावा है कि पृथ्वी पर पाए जाने वाले कई सूक्ष्मजीव (माइक्रोब्स) मंगल ग्रह पर कुछ समय के लिए जिंदा रह सकते हैं।
बर्लिन, प्रेट्र। मंगल ग्रह में जीवन संभावनाएं तलाशने के क्रम में विज्ञानियों ने एक और अहम जानकारी हासिल की है। उनका दावा है कि पृथ्वी पर पाए जाने वाले कई सूक्ष्मजीव (माइक्रोब्स) मंगल ग्रह पर कुछ समय के लिए जिंदा रह सकते हैं। एक नए अध्ययन में विज्ञानियों को इस बात के पुख्ता सुबूत भी मिले हैं। उनका कहना है कि यह अध्ययन भविष्य के मंगल मिशनों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए कुछ सूक्ष्मजीवों की मंगल ग्रह की परिस्थितियां सहने की क्षमता का आकलन किया। इसके लिए उन्होंने सूक्ष्मजीवों को पृथ्वी के वायुमंडल की दूसरी प्रमुख परत (समताप मंडल) में भेजा था। माना जाता है कि समताप मंडल और मंगल के वायुमंडल की परिस्थितियां बहुत हद तक एक जैसी होती हैं।
जर्नल फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित यह अध्ययन न केवल अंतरिक्ष मिशनों के लिए सूक्ष्मजीवों के खतरे को समझने में मदद कर सकता है, बल्कि पृथ्वी से अलग होकर ये सूक्ष्मजीव मंगल ग्रह में रह सकते हैं या नहीं, इसके स्त्रोत का भी पता लगा सकता है।
जर्मन एयरोस्पेस सेंटर से इस अध्ययन के प्रमुख लेखिकाओं में से एक मार्ता फिलिपा कोर्टेसाओ ने कहा, 'बैक्टीरिया और कवक (फंगी) के बारे में नई जानकारियां जुटाने के लिए हमने अपने प्रायोगिक उपकरणों को समताप मंडल तक भेजने के लिए वैज्ञानिक गुब्बारों का उपयोग किया।' उन्होंने कहा कि अध्ययन में पता चला कि कुछ सूक्ष्मजीव, विशेष रूप से ब्लैक मोल्ड फंगस (कवक) उच्च यूवी विकिरण के संपर्क में आने के बावजूद भी जीवित थे। इसका अर्थ है कि कई सूक्ष्मजीवों में ऐसी क्षमता होती है कि वह उच्च ताप और तीव्र विकिरण वाली परिस्थितियों में भी जिंदा रह सकते हैं। सौर मंडल के अन्य ग्रहों में जीवन की खोज करते समय विज्ञानियों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है कि जो कुछ भी वे खोज रहे हैं वह सूक्ष्म पृथ्वी का ना हो।
मददगार भी हो सकते हैं कई सूक्ष्मजीव
जर्मन एयरोस्पेस सेंटर से जुड़ी इस अध्ययन की प्रथम लेखिका कैथरीना सेम्स ने कहा, 'हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि इंसानों के साथ अंतरिक्ष में जाने वाली सूक्ष्मजीव बिना किसी अतिरिक्त सहायता के कैसे जिंदा रह जाते हैं। आगामी मंगल मिशन के लिए खास तौर पर इसका सबसे ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है क्योंकि हो सकता है इनमें से कुछ सूक्ष्मजीव अंतरिक्ष यात्रियों को बीमार भी कर दें।' उन्होंने कहा कि कुछ सूक्ष्मजीव अंतरिक्ष में खोज के लिए अमूल्य भी साबित हो सकते हैं। वे वहां भोजन और अन्य सामग्री के उत्पादन में हमारी मदद कर सकते हैं। पृथ्वी से दूर होकर ऐसा होना बेहद महत्वपूर्ण है।
ऐसे किया अध्ययन
कोर्टेसाओ ने कहा, हमने सूक्ष्मजीवों को मार्सबॉक्स के जरिये समताप मंडल में भेजा था। मार्सबॉक्स एक पेलोड है, जो कृत्रिम तौर पर मंगल के वायुमंडल के मुताबिक खुद को ढाल लेता है। अध्ययन में पता चला कि कई सूक्ष्म की मंगल की परिस्थितियों के अनुकूल खुद को ढालने लगे थे। इसलिए वे कुछ समय के लिए तीव्र विकिरण वाले वायुमंडल में जीवित रह पाए।