म्यांमार में लोकतंत्र के लिए जंग जारी, सेना ने 18 और लोगों को मौत के घाट उतारा

बुधवार को देश के विभिन्न शहरों में हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने सीधी फायरिंग करके 18 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। खास बात यह है कि मंगलवार को ही आसियान देशों ने म्यांमार की सेना से विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकालने की अपील की थी

By Arun kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 05:25 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 07:26 AM (IST)
म्यांमार में लोकतंत्र के लिए जंग जारी, सेना ने 18 और लोगों को मौत के घाट उतारा
म्यांमार के सुरक्षा बलों ने बुधवार को छह लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी

नेपिता, एजेंसियां। म्यांमार में तख्तापलट के खिलाफ आंदोलन कर रहे लोकतंत्र समर्थकों पर सेना का दमन जारी है। बुधवार को देश के विभिन्न शहरों में हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने सीधी फायरिंग करके 18 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। खास बात यह है कि मंगलवार को ही आसियान देशों ने म्यांमार की सेना से विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकालने की अपील की थी। बुधवार को की गई इस बात का संकेत है कि सेना विरोध-प्रदर्शनों को दबाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। पुलिस ने मिंगग्यान शहर में एक किशोर को मौत के घाट उतारा है वहीं मोनवाया में पांच लोगों उसकी गोली का शिकार हुए हैं। 30 लोग घायल भी हुए हैं। मरने वालों में चार पुरुष और एक महिला हैं।

यंगून में भी एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हुई है। तख्तापलट के बाद से अब तक कम से कम 35 लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों को मौत के घाट उतारा जा चुका है। जबकि 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इंटरनेट मीडिया पर चल रहे वीडियो में युवा एक-दूसरे का हाथ थामे ट्रक में चढ़ते दिखाई दे रहे हैं। जबकि पास में ही सेना और पुलिस के जवान खड़े हैं। लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारी एस्थर जे नाव ने कहा है कि मारे गए लोगों का आंदोलन बेकार नहीं जाएगा। हमारी लड़ाई जारी रहेगी और जीत सुनिश्चित है। उधर, एक वकील ने कहा है कि म्यांमार की सेना ने एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया एजेंसी के पत्रकार समेत मीडिया से जुड़े पांच अन्य लोगों के खिलाफ कानून के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। अगर आरोप साबित हो जाता है तो इन्हें तीन वर्ष तक की कैद हो सकती है।

आसियान में नहीं बनी सहमति

म्यांमार के मुद्दे पर बुलाई गई आसियान की बैठक में सहमति नहीं बन सकी। आंदोलनकारियों से संयम से निपटने के मामले में तो सभी देश एकमत थे, लेकिन सर्वोच्च नेता आंग सान सू को रिहा करने पर सिर्फ चार देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस और सिंगापुर ने ही जोर दिया। उधर, म्यांमार की सरकारी मीडिया ने बैठक में भाग लेने की पुष्टि करते हुए कहा कि क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मसलों पर विचारों का आदान-प्रदान किया गया। हालांकि इस दौरान म्यांमार से जुड़ी कोई बात नहीं हुई।

म्यांमार के प्रतिनिधि को लेकर दुविधा में यूएन

विश्व निकाय में म्यांमार के प्रतिनिधि को लेकर संयुक्त राष्ट्र को दो पत्र प्राप्त हुए हैं। महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि अब तक स्थायी प्रतिनिधि रहे केएम तुन ने सोमवार को एक पत्र सौंपा। जिसमें यह कहा गया है कि वह अभी भी यूएन में देश के स्थायी प्रतिनिधि बने हुए हैं। वहीं मंगलवार सुबह म्यांमार के विदेश मंत्रालय से एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें केएम तुन को बर्खास्त करने और उनकी जगह उनके डिप्टी यू टिन माउंग नैंग को कमान सौंपने की बात कही गई है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में तुन ने तख्तापलट की निंदा की थी और सभी सदस्य राष्ट्रों और संयुक्त राष्ट्र से अपील करते हुए कहा था कि वे सैन्य तख्तापलट की निंदा करें और सैन्य शासन को किसी भी स्थिति में मान्यता नहीं दें।

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