म्यांमार की जांच में किया साफ, रोहिंग्या के खिलाफ युद्ध अपराध हुआ नरसंहार नहीं

ICOE ने जांच के नतीजे जारी किए। संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत द्वारा म्यांमार में कथित तौर पर जारी नरसंहार को रोकने के लिए तत्काल उपाय करने के लिए कहा गया।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Tue, 21 Jan 2020 09:25 AM (IST) Updated:Tue, 21 Jan 2020 04:58 PM (IST)
म्यांमार की जांच में किया साफ, रोहिंग्या के खिलाफ युद्ध अपराध हुआ नरसंहार नहीं
म्यांमार की जांच में किया साफ, रोहिंग्या के खिलाफ युद्ध अपराध हुआ नरसंहार नहीं

यंगून, एएफपी। म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ हुई हिंसा की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित आयोग की रिपोर्ट सोमवार को जारी कर दी गई। चार सदस्यों वाले इंडिपेंडेंट कमीशन ऑफ इंक्वायरी (आइसीओई) ने जांच में पाया है कि रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ सेना के कुछ जवानों ने युद्ध अपराध को अंजाम दिया। लेकिन आयोग ने सैन्य कार्रवाई को नरसंहार मानने से साफ इन्कार कर दिया।

रोहिंग्या मुसलमानों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन

दो विदेशी नागरिकों समेत चार सदस्यों वाले आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहिंग्या मुसलमानों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ। यहां तक कि निर्दोष ग्रामीणों को जान से हाथ धोना पड़ा और कई परिवारों को बेघर होना पड़ा। रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ बड़े स्तर पर हिंसा की शिकायतों के बीच म्यांमार की यह पहली जांच रिपोर्ट है, जिसमें सेना को भी कहीं न कहीं दोषी ठहराया गया है।

मानवाधिकार संगठनों ने आइसीओई की रिपोर्ट के समय को लेकर सवाल उठाया है। उनका आरोप है कि यह इसी मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय अदालत में जारी सुनवाई के बीच ध्यान भटकाने की चाल है। म्यांमार में नरसंहार के मुद्दे पर अंतराष्ट्रीय अपराध अदालत में सुनवाई हो रही है, जिसका फैसला इसी गुरुवार को आने वाला है।

 बता दें कि बौद्ध बहुल देश में 2017 में सेना की कार्रवाई के दौरान हज़ारों रोहिंग्या मारे गए और सात लाख से अधिक को भागकर पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ी।

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