म्यांमार में खराब परिस्थितियां बाढ़ के चलते और बिगड़ी, दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहे हैं कोविड-19 संक्रमण में केस
म्यांमार में तख्तापलट ने हजारों लोगों की रोजमर्रा जिंदगी को प्रभावित किया है तो अब वहीं बाढ़ ने सैकड़ों लोगों को बेघर कर दिया है। जिसके चलते कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के प्रयास कमजोर पड़ गए हैं। देश में कोविड-19 संक्रमण के आंकड़ों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
एजेंसियां: म्यांमार के रहवासियों का जीवन इन दिनों मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है। एक तरफ जहां देश में सेना द्वारा तख्तापलट ने हजारों लोगों की रोजमर्रा जिंदगी को प्रभावित किया है, तो अब वहीं बाढ़ ने सैकड़ों लोगों को बेघर कर दिया है। जिसके चलते कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के प्रयास कमजोर पड़ गए हैं।
बाढ़ के बाद स्थिति गंभीर
देश के कई राज्यों में भारी बारिश के चलते शहरों में बाढ़ की स्थिति बन गई है। इमारतों और अस्पतालों में बाढ़ का पानी भर जाने के कारण स्वास्थ्य कर्मी मरीजों को सूखे स्थानों पर स्थानांतरित कर रहे हैं। खासतौर से कोविड-19 के मरीजों को इन परिस्थितियों के चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही कई जगहों पर बाढ़ का आलम ये है की, पूरे के पूरे घर पानी में डूब चुके हैं, पानी के कारण सिर्फ घर की छतों को ही देखा जा सकता है।
संक्रमण में लगातार बढ़ोतरी
रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में एक समाजसेवी ने चिंता जाहिर करते हुए बताया है कि, देश में कोरोना संक्रमण तेजी के साथ फैल रहा है। बहुत से लोग जुकाम से पीड़ित हैं, लेकिन बाढ़ के बाद हुई अव्यवस्था के बीच ये पत लगाना मुश्किल हो गया है की, उन्हें कोविड-19 संक्रमण हुआ है या फिर मौसमी फ्लू है। साथ ही उन्होंने बताया की, बाढ़ का पानी भरने के बाद लोगों के घर बर्बाद हो गए हैं। जिसके चलते वो अब अपने घरों में नहीं रह सकते हैं, जिसके चलते लोगों ने सार्वजनिक जगहों पर आश्रय लिया हुआ है। इससे संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है।
तख्तापल्ट के बाद स्थिति नाजुक
गौरतलब है की, म्यांमार में जून के बाद से संक्रमण में उछाल देखा गया है। सोमवार को कुल 4,630 नए मामले दर्ज किए गए, वहीं 396 मौतों की पुष्टी हुई है, लेकिन लोगों को आशंका है की, हकीकत में संक्रमण का आंकड़ा कहीं अधिक है। वहीं, महामारी संकट के बीच जुंटा ने कई लोकतंत्र के समर्थक डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है। उन पर कोविड-19 के मरीजों का स्वतंत्र रूप से इलाज करने का आरोप लगाया गया है। जुंटा को फरवरी में तख्तापल्ट के बाद से, लगातार देश की सत्ता को नियंत्रित करने के लिए विरोध का सामना करना पड़ रहा है।