म्यांमार की अदालत ने अमेरिकी पत्रकार को 11 साल की सजा सुनाई, देशद्रोह और आतंकवाद का भी लगा है आरोप

फेनस्टर को मई से हिरासत में रखा हुआ है। वह अभी भी एक अलग अदालत में दो अतिरिक्त आरोपों का सामना कर रहा है। उनपर हाल ही में आतंकवाद और देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। पत्रकार के वकील ने बोले- दोषी पाए गए तो उम्रकैद भी हो सकती है।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Fri, 12 Nov 2021 03:09 PM (IST) Updated:Fri, 12 Nov 2021 03:09 PM (IST)
म्यांमार की अदालत ने अमेरिकी पत्रकार को 11 साल की सजा सुनाई, देशद्रोह और आतंकवाद का भी लगा है आरोप
म्यांमार की अदालत ने अमेरिकी पत्रकार को 11 साल की सजा सुनाई, देशद्रोह और आतंकवाद का भी लगा है आरोप

बैंकाक, एपी। सैन्य शासित म्यांमार की एक अदालत ने शुक्रवार को हिरासत में लिए गए अमेरिकी पत्रकार डेनियल फेनस्टर को कई आरोपों में दोषी ठहराते हुए 11 साल जेल की सजा सुनाई है, जिसमें झूठी व भड़काऊ जानकारी फैलाना शामिल है।

आनलाइन पत्रिका फ्रंटियर म्यांमार के प्रबंध संपादक फेनस्टर को अवैध संगठनों से संपर्क करने और वीजा नियमों का उल्लंघन करने का भी दोषी पाया गया। यह जानकारी उनके वकील थान जा आंग ने दी। बताया गया कि उन्हें प्रत्येक आरोप पर अधिकतम अवधि की सजा सुनाई गई।

फेनस्टर को मई से हिरासत में रखा हुआ है। वह अभी भी एक अलग अदालत में दो अतिरिक्त आरोपों का सामना कर रहा है। उनपर हाल ही में आतंकवाद और देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। पत्रकार के वकील ने बुधवार को समाचार एजेंसी एएफपी को इस बारे में जानकारी दी और कहा कि पत्रकार दोषी पाए गए तो उन्हें उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।

सजा के बाद एडिटर-इन-चीफ थामस कीन ने एक बयान में कहा, 'फ्रंटियर में हर कोई इस फैसले से हताश और निराश है। हम बस डैनी को जल्द से जल्द रिहा होते देखना चाहते हैं ताकि वह अपने परिवार के पास जा सके।'

फेनस्टर को 24 मई को यांगून अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया था। वह तब परिवार के पास जाने को संयुक्त राज्य में डेट्राइट क्षेत्र जाने के लिए उड़ान भरने वाले थे। बता दें कि फरवरी में सेना द्वारा सत्ता हथियाने के बाद से आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार को हटाने के बाद से वह गंभीर अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने वाले एकमात्र विदेशी पत्रकार हैं। लगभग 100 पत्रकारों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से लगभग 30 जेल में बंद हैं।

बता दें कि 1 फरवरी को सेना ने सत्ता पर काबिज करते हुए आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार को हटा दिया और सभी बड़े नताओं को हिरासत में ले लिया और तख्तापलट को अंजाम दिया गया। इसके बाद देश में हाल स्थिर नहीं हो सके हैं। कई संघर्ष देखने को मिले, जिसमें बेकसूर नागरिक भी मारे गए।

एक स्थानीय निगरानी समूह के अनुसार, असंतोष पर कार्रवाई में सुरक्षा बलों द्वारा 1,200 से अधिक लोग मारे गए हैं। प्रेस भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है, क्योंकि जुंटा सूचना के प्रवाह पर नियंत्रण को कड़ा करने की कोशिश में रहा है, इंटरनेट का उपयोग कम करने को कहा गया है और स्थानीय मीडिया आउटलेट्स के लाइसेंस को रद कर दिए गए।

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