गरीब देशों को बड़ी संख्‍या में वैक्‍सीन दान करने से ये हो सकती हैं खराब, यूनिसेफ ने दी चेतावनी

यूनिसेफ ने आगाह किया है कि यदि गरीब देशों को बड़ी संख्‍या में कोरोना वैक्‍सीन दान में दी गईं तो इनके खराब होने की आशंका अधिक होगी। ऐसा इसलिए क्‍यों‍कि उनके पास इसके रख-रखाव की सुविधाओं का अभाव है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Tue, 08 Jun 2021 04:02 PM (IST) Updated:Tue, 08 Jun 2021 04:02 PM (IST)
गरीब देशों को बड़ी संख्‍या में वैक्‍सीन दान करने से ये हो सकती हैं खराब, यूनिसेफ ने दी चेतावनी
लगातार होनी चाहिए गरीब देशों में वैक्‍सीन की सप्‍लाई

न्‍यूयॉर्क (रॉयटर्स)। यूनाइटेड नेशन चिल्‍ड्रंस फंड (यूनिसेफ) ने अमीर देशों को चेतावनी दी है कि यदि उन्‍होंने अधिक मात्रा में कोरोना वैक्‍सीन को गरीब देशों को दान में दिया तो इनमें से अधिकतर के खराब होने की आशंका होगी। ऐसा इसलिए क्‍योंकि गरीब देशों के पास न तो इन वैक्‍सीन के रख-रखाव की सुविधा है और न ही उनके पास इनको तय समय में इस्‍तेमाला करने के संसाधन ही मौजूद हैं। यूनिसेफ का कहना है कि इस समस्‍या से बचने के लिए बेहतर होगा कि वैक्‍सीन की सप्‍लाई थोड़ा रुककर की जाए। आपको बता दें कि अमेरिका समेत ब्रिटेन ने भी कोरोना वैक्‍सीन की अतिरिक्‍त खुराकों को दान में देने की बात की है। अमेरिका इस तरह से आठ करोड़ से अधिक वैक्‍सीन उपलब्‍ध कराएगा। ब्रिटेन ने भी जल्‍द ही इस तरह की सप्‍लाई करने की बात कही है। हालांकि उसने ये नहीं बताया है कि वो कितनी खुराक इस तरह से उपलब्‍ध करवाएगा।

कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए दुनिया के कई सेलिब्रिटी भी सामने आए हैं। इनमें कई देशों के पूर्व राष्‍ट्राध्‍यक्ष भी शामिल है। इनमें से कई ऐसे हैं जिन्‍होंने दुनिया के अमीर देशों के संगठन जी-7 को लिखे गए पत्र को अपने हस्‍ताक्षर कर इसका समर्थन किया है। इनमें स्‍टार खिलाड़ी डेविड बेकहम भी शामिल हैं। पत्र में उन्‍होंने वैक्‍सीन की 20 फीसद खुराक को दान में दिए जाने की अपील की है। इनका ये भी कहना है कि महामारी जतब तक खत्‍म नहीं हो सकती है जब तक ये दुनिया के हर कोने से समाप्‍त न हो जाए। इस पत्र को एंडी मौरे, ओलिविया कोलमेन, इवान, प्रियंका चोपड़ा जोंस, समेत कई अन्‍य हैं।

यूनिसेफ की अधिकारी लिली केपरानी का कहना है कि देशों को चाहिए कि अन्‍य देशों के साथ वो अपनी आबादी को भी वैक्‍सीनेट करें। उनका ये भी कहना है कि इसमें कोई शक नहीं है कि हमें 18 वर्ष की आयुवर्ग से कम के लिए वैक्‍सीन की जरूरत है। लेकिन मौजूदा समय में प्राथमिकता उन लोगों को वैक्‍सीन देने की है जिनको इसकी सबसे अधिक जरूरत है। इसलिए अमीर देशों को गरीब देशों को अतिरिक्‍त वैक्‍सीन दान में देनी चाहिए, जिससे वो भी अपने यहां पर लोगों का टीकाकरण कर सकें।

उनके मुताबिक वैक्‍सीन को लंबे समय तक रखना मुश्किल है। ऐसे में इनके खराब होने की आशंका अधिक है। यूं भी लाखों वैक्‍सीन अब भी खराब हुई हैं, जिनका इस्‍तेमाल किया जा सकता था। ये हम सभी के लिए किसी विडंबना से कम नहीं है। उनका ये भी कहना है कि गरीब देशों को वैक्‍सीन की सप्‍लाई लगातार करनी होगी।

आपको बता दें कि हाल ही में ब्रिटेन के स्‍वास्‍थ्‍य सचिव मेट हेनकॉक ने कहा है कि उनके लिए बच्‍चों का वैक्‍सीनेशन भी प्राथमिकता में शामिल है। उन्‍होंने ये भी कहा है कि फिलहाल देश में अतिरिक्‍त वैक्‍सीन की खुराक नहीं है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्‍लेयर ने कहा है कि सभी देशों को अपने यहां लोगों को वैक्‍सीन देनी चाहिए लेकिन दूसरे देशों को भी प्राथमिकता में रखा जाना जरूरी है। खासतौर पर गरीब देशों को। ब्रिटेन के ही एक अन्‍य पूर्व पएम गोर्डन ब्राउन ने जी-7 देशों से अपील की है कि वो अफ्रीका और एशिया के देशों को वैक्‍सीन की खुराक उपलब्‍ध करवाएं।

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