श्रीलंका: राष्ट्रपति राजपक्षे और तमिल नेशनल अलायंस की आज भी नहीं हो सकी वार्ता, होने वाली थी पहली बैठक
तमिल नेशनल अलायंस के विधायक एमए सुमंतिरन ने कहा हमें सूचित किया गया कि आज होने वाली बैठक टल गई है। इसके लिए अब तक नई तारीख के बारे में नहीं बताया गया है। उन्होंने बताया कि बैठक स्थगित करने के पीछे किसी कारण की जानकारी नहीं है।
कोलंबो, प्रेट्र। श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Sri Lankan President Gotabaya Rajapaksa) और यहां के प्रमुख तमिल पार्टी TNA के बीच पहली बार बुधवार को बैठक होने वाली थी जो टाल दी गई। पार्टी ने इसके पीछे किसी तरह की वजह नहीं बताई है। आज होने वाली इस बैठक में संविधान सुधार प्रक्रिया पर बात होने वाली थी। तमिल नेशनल अलायंस के विधायक एमए सुमंतिरन (M A Sumanthiran) ने कहा, 'हमें सूचित किया गया कि आज होने वाली बैठक टल गई है। इसके लिए अब तक नई तारीख के बारे में नहीं बताया गया है।' उन्होंने बताया कि बैठक स्थगित करने के पीछे किसी कारण की जानकारी नहीं है।
TNA को उम्मीद है कि आज टलने वाली बैठक जल्द ही आयोजित होगी और प्रमुख तमिल दल को राष्ट्रपति के साथ बात करने का अवसर मिलेगा। सुमंतिरन ने बताया कि राजपक्षे ने संकेत दिया कि वह TNA के प्रतिनिधिमंडल से मिलेंगे। राजपक्षे ने स्पष्ट रूप से घोषणा की थी कि उन्हें सिंहला बहुसंख्यकों ने चुना है लेकिन वह अल्पसंख्यकों की चिंताओं पर भी ध्यान देंगे। उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यकों ने नवंबर 2019 में उनके राष्ट्रपति चुनाव का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था।
TNA चाहती है कि अल्पसंख्यकों की राजनीतिक चिंताओं पर ध्यान देने के लिए 13वें संशोधन को और सार्थक बनाया जाए। हालांकि राजपक्षे के सार्वजनिक बयानों में झलकता है कि वह प्रांतीय परिषदों की प्रणाली को समाप्त करना चाहते हैं जो भारत और श्रीलंका के बीच 1987 में हुए समझौते के माध्यम से श्रीलंकाई संविधान का हिस्सा बनी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति जूनियस जयवर्धने के बीच यह समझौता हुआ था।
भारत हमेशा कहता रहा है कि वह चाहता है कि श्रीलंका सत्ता हस्तांतरण पर तमिलों की चिंताओं पर ध्यान देने के लिहाज से संशोधन 13ए का अनुसरण करे। इस संशोधन का उद्देश्य श्रीलंका में प्रांतीय परिषद बनाना और सिंहली तथा तमिल को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा देते हुए अंग्रेजी को संपर्क की भाषा बनाना है।
श्रीलंका में कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण पाने के लागू लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंध को शुक्रवार को 21 जून तक बढ़ा दिया गया। देश में स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा संक्रमण की तीसरी लहर की चेतावनी के बाद से सरकार ने मध्य मई में ही यहां प्रतिबंध लगा दिया जो अब तक जारी है।