बांग्लादेश में मिली भगवान विष्णु की दुर्लभ प्रतिमा, एक हजार साल से ज्यादा है पुरानी

एक हजार साल से ज्यादा पुरानी भगवान विष्णु की दुर्लभ प्रतिमा बांग्लादेश के कोमिल्ला जिले के बोरो गोआली गांव में मिली यह प्रतिमा 23 इंच ऊंची और 9.5 इंच चौड़ी है। इसका वजन 12 किलो है। उचित देखभाल के लिए प्रतिमा को मैनावती संग्रहालय को सौंपा जाएगा।

By Monika MinalEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 03:06 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 03:06 PM (IST)
बांग्लादेश में मिली भगवान विष्णु की दुर्लभ प्रतिमा, एक हजार साल से ज्यादा है पुरानी
बांग्लादेश में मिली भगवान विष्णु की दुर्लभ प्रतिमा

ढाका, प्रेट्र। बांग्लादेश पुलिस ने खुफिया जानकारी के आधार पर सोमवार को शिक्षक के पास से करीब हजार साल पुरानी भगवान विष्णु की प्रतिमा बरामद की जो काले पत्थरों से तराशी हुई है। दरअसल एक तालाब की खुदाई में यह प्रतिमा जमीन के भीतर से निकली। 

एक हजार साल पुरानी काले पत्थर की भगवान विष्णु की दुर्लभ प्रतिमा अध्यापक के घर में थी। स्थानीय मीडिया के अनुसार बांग्लादेश के कोमिल्ला जिले के बोरो गोआली गांव में मिली यह प्रतिमा 23 इंच ऊंची और 9.5 इंच चौड़ी है। इसका वजन 12 किलो है। पुलिस ने बताया कि मूर्ति यहां रहने वाले एक अध्यापक अबु युसुफ को डेढ़ माह पहले जमीन की खुदाई में मिली थी। उसने इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को नहीं दी और चुपचाप घर में रख ली। गोपनीय सूचना के आधार पर अब मूर्ति हासिल कर ली गई है। पुलिस को अबु युसुफ ने बताया कि मूर्ति तालाब की खुदाई के दौरान उसे मिली थी। काम में व्यस्त रहने के कारण वह पुलिस को जानकारी नहीं दे सका।

नजरूल इस्लाम ने बताया, 'डेढ़ माह पहले अबु युसुफ नामक शिक्षक को यह प्रतिमा मिली थी लेकिन उन्होंने हमें सूचित नहीं किया। गोपनीय जानकारी मिलने के बाद हमने सोमवार रात उनके घर से इसे बरामद किया। इसपर युसुफ ने कहा, '20-22 दिन पहले खुदाई के दौरान तालाब में मुझे यह प्रतिमा मिली थी। हम काम में व्यस्त होने के कारण पुलिस को सूचित नहीं कर पाए।'

पुरातत्व विभाग के अनुसार भगवान विष्णु की यह प्रतिमा दुर्लभ है। प्रतिमा एक हजार साल से ज्यादा पुरानी है। इसे सुरक्षित रखने और उचित देखभाल के लिए मैनावती संग्रहालय को सौंपा जाएगा। चट्टोग्राम डिविजन आर्कियोलॉजी विभाग के पूर्व रिजनल डायरेक्टर अताउर रहमान ने बताया, 'जमीन के भीतर से मिली यह प्रतिमा काफी कीमती है। यह 1000 साल पुराना है। इसे तुरंत मैनामती संग्रहालय को उचित देखभाल के लिए सौंप दिया जाना चाहिए।'

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