विभिन्न देशों की नई जलवायु योजनाएं भी जरूरत से काफी कम : यूएन रिपोर्ट

अगले सप्ताह से ब्रिटेन के ग्लास्गो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन शुरू हो रहा है। इससे पहले कई देशों ने अब से 2030 के बीच तापमान वृद्धि वाले उत्सर्जन को रोकने के लिए पेरिस जलवायु समझौते के तहत लिए संकल्पों को अपडेट किया है।

By Monika MinalEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 01:50 AM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 01:52 AM (IST)
विभिन्न देशों की नई जलवायु योजनाएं भी जरूरत से काफी कम : यूएन रिपोर्ट
ग्लास्गो सम्मेलन से पहले कई देशों ने अपने संकल्पों को किया है अपडेट

वाशिंगटन [न्यूयार्क टाइम्स]।  संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी दशक में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विभिन्न देशों की नवीनतम योजना भी वैश्विक तापमान में खतरनाक बढ़ोतरी (ग्लोबल वार्मिग) से बचने के लिए जरूरी उपायों से काफी कम है।

अगले हफ्ते से ब्रिटेन के ग्लास्गो में शुरू होने जा रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन से पहले कई देशों की सरकारों ने अब से 2030 के बीच तापमान वृद्धि वाले उत्सर्जन को रोकने के लिए पेरिस जलवायु समझौते के तहत लिए संकल्पों से अधिक करने के लिए अपने संकल्पों को अपडेट किया है। इन देशों में अर्जेंटीना, ब्रिटेन, कनाडा, यूरोपीय संघ, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, ये नए संकल्प भी वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिकीकरण काल से 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोकने के लिए जरूरी अतिरिक्त उत्सर्जन कटौती का सिर्फ 14 प्रतिशत ही है। माना जाता है कि हर देश अपने संकल्पों का अनुपालन करता है, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक कई देशों की सरकारों ने अभी तक अपने अल्पकालिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नीतियों या कानूनों को ही नहीं बनाया है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा कि एक प्रजाति के तौर पर आसन्न संकट का सामना करने के लिए दुनिया को नींद से जागना होगा। वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोकने के लिए हमारे पास मौका है। ग्रीन हाउस गैसों को करीब करीब आधा करने के लिए हमारे पास आठ साल हैं। योजनाएं एवं नीतियां बनाने, उन्हें लागू करने और उत्सर्जन में कटौती के लिए हमारे पास आठ साल हैं। समय तेजी से भाग रहा है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगर विभिन्न देशों ने अपने नए जलवायु लक्ष्यों को हासिल भी कर लिया तो भी दुनिया का तापमान वर्ष 2100 तक करीब 2.7 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। तापमान में इस वृद्धि से पूरी दुनिया में लू, सूखा और बाढ़ जैसे खतरों में तेजी से वृद्धि हो जाएगी।

यूएन प्रमुख ने समुचित नेतृत्व के अभाव को लेकर जताया अफसोस

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने कहा है कि समुचित नेतृत्व के अभाव के चलते ग्लोबल वार्मिंग को काबू करने के वैश्विक प्रयास प्रभावित हो रहे हैं। गुतेरस ने संवाददाताओं से कहा, 'वक्त अपनी रफ्तार से गुजर रहा है। उत्सर्जन में कमी का अभाव, समुचित नेतृत्व के अभाव का परिणाम है। नेता अभी भी जलवायु आपदा के बिंदु को हरित भविष्य की तरफ मोड़ सकते हैं।' गुतेरस संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट को जारी करने के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे जिसमें सरकारों द्वारा उत्सर्जन में कटौती को लेकर ताजा संकल्पों का जिक्र किया गया है।

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