क्षुद्रग्रह के नमूने गिराने को धरती की ओर बढ़ रहा जापानी अंतरिक्ष यान, धरती पर कैसे आया जीवन मिलेगी जानकारी

हायाबूसा2 अंतरिक्ष यान (Hayabusa2 spacecraft) एक क्षुद्रग्रह के नमूने का कैप्सूल धरती पर छोड़ने के लिए अपने लक्षित पथ पर बढ़ रहा है। इस नमूने से सौर मंडल तथा धरती पर जीवन की उत्पत्ति के संबंध में जानकारी मिल सकती है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 04 Dec 2020 11:37 PM (IST) Updated:Fri, 04 Dec 2020 11:37 PM (IST)
क्षुद्रग्रह के नमूने गिराने को धरती की ओर बढ़ रहा जापानी अंतरिक्ष यान, धरती पर कैसे आया जीवन मिलेगी जानकारी
हायाबूसा2 अंतरिक्ष यान एक क्षुद्रग्रह के नमूने धरती पर छोड़ने के लिए अपने ट्रैजेक्टरी पर बढ़ रहा है।

टोक्यो, एपी। जापानी अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों ने कहा है कि हायाबूसा2 अंतरिक्ष यान एक क्षुद्रग्रह के नमूने का कैप्सूल धरती पर छोड़ने के लिए अपने लक्षित पथ (ट्रैजेक्टरी) पर बढ़ रहा है। इस नमूने से सौर मंडल तथा धरती पर जीवन की उत्पत्ति के संबंध में जानकारी मिल सकती है। यह अंतरिक्ष यान करीब 30 करोड़ किलोमीटर दूर रीयूगू क्षुद्रग्रह से एक साल पहले निकला था। इसके साथ आ रहा नमूने वाला कैप्सूल 220,000 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा, जो रविवार को आस्ट्रेलिया के कम आबादी वाले क्षेत्र वूमेरा में लैंड कर सकता है।

जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जक्सा) के प्रोजेक्ट मैनेजर यूइची सुडा ने अंतरिक्ष यान से शनिवार को कैप्सूल के अलग होने के नाजुक समय से पहले बताया कि हायाबूसा2 का संचालन सही है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमने खुद को तैयार कर लिया है और अब यही प्रार्थना है कि जिन उपकरणों ने अभी काम करना शुरू नहीं किया है, वे सही से काम करें तथा मौसम ठीक रहे। हम काफी उत्सुक हैं।

यूइची सुडा ने बताया कि रविवार सबेरे ऊष्मा कवच से संरक्षित यह कैप्सूल धरती से 120 किलोमीटर ऊपर वायुमंडल में प्रवेश करते ही आग के गोले में बदल जाएगा। इसके बाद धरती से करीब 10 किलोमीटर ऊपर एक पैराशूट खुलेगा, जो उसके गिरने की गति कम करेगा तथा लोकेशन के बारे में सिग्नल भेजेगा।

इसके लिए अंतरिक्ष एजेंसी ने संभावित इलाकों में जगह-जगह सेटेलाइट डिश लगाई हैं। इसके साथ ही समुद्री रडार, ड्रोन तथा हेलीकाप्टरों को भी तैयार किया जा रहा है, ताकि 40 सेंटीमीटर व्यास वाले इस कैप्सूल पर नजर रखी जा सके। विज्ञानियों का मानना है कि नमूने क्षुद्रग्रह की सतह के अंदर से लिए गए हैं और इनके कीमती डाटा अंतरिक्षीय विकिरण व पर्यावरणीय कारकों से अप्रभावित होंगे।

विज्ञानियों की रुचि नमूने के आर्गेनिक मैटेरियल के विश्लेषण में है। उम्मीद है कि इससे यह पता चल सकेगा कि सौर मंडल में मैटेरियल का वितरण किस प्रकार हुआ और धरती पर जीवन से उनका क्या संबंध है। 2014 में शुरू हुआ हायाबूसा2 का मिशन इस अभियान के साथ खत्म नहीं होगा, बल्कि कैप्सूल गिराने के बाद यह दूसरे दूरस्थ क्षुद्रग्रह 1998केवाई26 के लिए रवाना होगा, जिसमें एक तरफ की यात्रा में 10 साल लगेंगे।

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