इजरायल में पश्चिमी तट पर तीन हजार स्थाई निर्माण होंगे, अमेरिका नाराज; भड़क सकता है फलस्तीन

ट्रंप प्रशासन में इजरायल ने आक्रामक तरीके से इलाके में स्थाई निर्माण किए थे। केवल 2020 में ही पश्चिमी तट पर 12 हजार से ज्यादा निर्माण किए गए थे। अब यह तीन हजार स्थाई निर्माण करने जा रहा है जो अमेरिका को नाराज व फलस्तीनियों का विद्रोह भड़का सकता है।

By Monika MinalEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 12:36 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 12:36 AM (IST)
इजरायल में पश्चिमी तट पर तीन हजार स्थाई निर्माण होंगे, अमेरिका नाराज; भड़क सकता है फलस्तीन
इजरायल में पश्चिमी तट पर तीन हजार स्थाई निर्माण होंगे

यरुशलम, एपी।  इजरायल (Israel) के कब्जे वाले पश्चिमी तट (West Bank) पर स्थाई निर्माण करने के फैसले की बाइडन प्रशासन द्वारा निंदा करने के अगले दिन बुधवार को इजरायली सरकार की कमेटी ने तीन हजार नए आवास बनाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी। अमेरिका में जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने और इजरायल में नाफ्ताली बेनेट की सरकार बनने के बाद पश्चिमी तट पर स्थायी निर्माण का यह सबसे बड़ा कदम है। गठबंधन सरकार के कार्यकाल में पश्चिमी तट के लिए यह बड़ा फैसला माना जा रहा है।

2020 में 12 हजार से अधिक हुए थे निर्माण

ट्रंप प्रशासन में इजरायल ने आक्रामक तरीके से इलाके में स्थाई निर्माण किए थे। केवल 2020 में ही पश्चिमी तट पर 12 हजार से ज्यादा निर्माण किए गए थे। माना जा रहा है कि इजरायल सरकार का ताजा फैसला अमेरिका को नाराज कर सकता है। साथ ही फलस्तीनियों का विद्रोह भड़का सकता है। इजरायल के इस फैसले का मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने विरोध किया और कहा कि पश्चिमी तट पर यहूदी बस्तियों के विस्तार का अमेरिका लगातार विरोध करता है। अमेरिकी प्रशासन ने इसे इजरायल व फलिस्तीन के बीच शांति की संभावना को चोट पहुंचाने वाला बताया है।

पश्चिम तट पर निर्माण के लिए इजरायल सरकार ने निकाला था टेंडर

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इजरायल सरकार ने पश्चिमी तट पर घर बनाने के लिए टेंडर निकाला है। यहां पर अधिकारी ऐसे 3,000 घर बनाने पर विचार कर रहे हैं। इस पर एक प्रेस ब्रीफिंग में राज्य विभाग प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, 'हम इजरायल सरकार के अधिकतर डीप वेस्ट बैंक में सेंटलमेंट यूनिट को बढ़ाने की योजना पर चिंतित हैं।' उन्होंने यह भी कहा, 'हम बस्तियों के विस्तार का कड़ा विरोध करते हैं, जो तनाव कम करने और शांति सुनिश्चित करने के प्रयासों के विपरीत है, और यह दो राज्यों के समाधान की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाता है।'

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