अफगान की तालिबानी सरकार पर मंडराया इस्लामिक स्टेट का खतरा, तेज किए हमले

अमेरिका और तालिबान के बीच अफगानिस्तान में 20 सालों तक जंग चलती रही। इसके बाद अगस्त में जब विदेशी सैनिकों ने वापसी का फैसला लिया काबुल में तालिबानी हुकूमत की शुरुआत हो गई। लेकिन अब इस्लामिक स्टेट (खोरासान) की ओर से तालिबान को चुनौतियां मिलने लगी हैं।

By Monika MinalEdited By: Publish:Fri, 08 Oct 2021 11:54 PM (IST) Updated:Sat, 09 Oct 2021 07:18 AM (IST)
अफगान की तालिबानी सरकार पर मंडराया इस्लामिक स्टेट का खतरा, तेज किए हमले
अफगान की तालिबानी सरकार पर मंडराया इस्लामिक स्टेट का खतरा, तेज किए हमले

काबुल, एजेंसी। अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने वाले तालिबान को आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट की ओर से लगातार चुनौती मिल रही है। इसी क्रम में शुक्रवार को अफगानिस्तान के कुंदुज स्थित मस्जिद में आतंकी समूह ने हमला किया जिसमें 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है। दरअसल अगस्त से लेकर अब तक देश में IS की ओर से हमले तेज हो गए हैं। यहां तक कि इस्लामिक स्टेट के कमांडर देश के हर प्रांत में तैनात किए जाने की खबरें भी मिलने लगी हैं।

वहीं न्यूज एजेंसी एपी के अनुसार, IS की ओर से इस विस्फोट को अंजाम देने वाले की पहचान उइगर मुस्लिम (Uygher Muslim) के तौर पर की गई। इसमें कहा गया है कि हमले में तालिबान व शिया मुसलमानों को निशाने पर लिया गया क्योंकि ये चीन का साथ देते हुए उइगर समुदाय को निकालना चाहते हैं। यह बयान IS की न्यूज एजेंसी आमाक (Aamaq news agency) की ओर से जारी हुआ है।

26 अगस्त को हुए घातक हमले के पीछे भी था IS

IS ने काबुल में दो घातक बम विस्फोटों की भी जिम्मेदारी ली थी जिसमें से एक 26 अगस्त वाला काबुल एयरपोर्ट के बाहर हुआ भयावह हमला है जिसमें 169 अफगानी और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे। इसके अलावा रविवार को काबुल ईदगाह मस्जिद के बाहर हुआ बम विस्फोट है जिसमें पांच आम नागरिक मारे गए थे। इसके अलावा बुधवार को मदरसा को निशाना बनाया गया था हालांकि आइएस ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली थी।

आज कुंदुज में सैयदाबाद मस्जिद पर हुए आतंकी हमले की मानवाधिकार आयोग ने निंदा की। आयोग ने इस हमले को शिया व हजारा समुदायों को निशाना बनाने की बात कही। आयोग ने चिंता जाहिर की और कहा कि इस समुदाय की सुरक्षा के लिए कोई सुनियोजित इंतजाम नहीं है। मस्जिद में शिया मुस्लिम नमाज पढ़ने को जमा थे जब बम विस्फोट हुआ। यह एक सप्ताह में तीसरी बार धार्मिक स्थल को निशाना बनाने की घटना है। इसमें 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हैं। इस विस्फोट के कारण मस्जिद क्षतिग्रस्त हो गया है। अब IS अफगानिस्तान के नार्दर्न सेंट्रल एशियाई पड़ोसियों और रूस के लिए चिंता का विषय बन गया है जो सालों से तालिबान की वकालत करते आ रहे हैं।

बीस साल की जंग के बाद अफगान में तालिबान काबिज

अमेरिका और तालिबान के बीच अफगानिस्तान में 20 सालों तक जंग चलती रही। इसके बाद अगस्त में जब विदेशी सैनिकों ने वापसी का फैसला लिया काबुल में तालिबानी हुकूमत की शुरुआत हो गई। लेकिन अब इस्लामिक स्टेट (खोरासान) की ओर से तालिबान को चुनौतियां मिलने लगी हैं। हाल में ही अफगानिस्तान के एक पत्रकार बिलाल सरवरी ने ट्वीट में दावा किया था कि तालिबानी सूत्रों के अनुसार अफगान के हर प्रांत में IS ने अपने गवर्नर, सैन्य कमांडर और जिलों में भी गवर्नर तैनात कर दिए हैं। यही हाल पूरे देश में है।

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