UNSC में भारत ने उठाया रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का मुद्दा, कहा- हमने बार-बार किया आगाह

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के सलाहकार प्रतीक माथुर ने कहा कि भारत हमेशा किसी के द्वारा या कहीं भी किसी भी समय और किसी भी परिस्थिति में किए गए रासायनिक हथियार के इस्तेमाल के खिलाफ रहा है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 10:48 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 10:48 AM (IST)
UNSC में भारत ने उठाया रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का मुद्दा, कहा- हमने बार-बार किया आगाह
प्रतीक माथुर ने कहा, भारत हमेशा रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के खिलाफ रहा है

संयुक्त राष्ट्र, एएनआइ। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में भारत के स्थायी मिशन के सलाहकार प्रतीक माथुर (Pratik Mathur) ने यूएनएससी (UNSC) की बैठक में सीरिया में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भारत बार-बार आतंकी गतिविधियों का समर्थन करने वाली संस्थाओं और कुछ लोगों द्वारा रासायनिक हथियारों तक पहुंच प्राप्त करने की कोशिश के प्रति आगाह करता रहा है।

India has been repeatedly cautioning against the possibility of terrorist entities and individuals gaining access to chemical weapons: Pratik Mathur, Counsellor in India's Permanent Mission to UN, at UNSC meeting on Syria (chemical weapons) pic.twitter.com/MFOMH3aZpd

— ANI (@ANI) December 9, 2021

उन्होंने आगे कहा कि भारत हमेशा किसी के द्वारा या कहीं भी, किसी भी समय और किसी भी परिस्थिति में किए गए रासायनिक हथियार के इस्तेमाल के खिलाफ रहा है। हमने लगातार कहा है कि रासायनिक हथियारों के उपयोग की कोई भी जांच निष्पक्ष, विश्वसनीय और उद्देश्यपूर्ण होनी चाहिए।

India is against use of chemical weapons by anybody, anywhere, at any time & under any circumstances. We've consistently maintained that any probe into use of chemical weapons must be impartial, credible & objective: Prathik Mathur, Counsellor in India's Permanent Mission to UN https://t.co/6ffJLdyPA1

— ANI (@ANI) December 9, 2021

इससे पहले यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा था कि जब पश्चिमी पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान में नरसंहार शुरू किया तो भारत ने लाखों शरणार्थियों को अपने देश में पनाह दी और नरसंहार से उनकी रक्षा की। तिरुमूर्ति ने कहा, सशस्त्र संघर्ष रोकने, आतंकवाद की रोकथाम और स्थायी शांति की स्थापना से लोगों को अपने देश को छोड़ने को विवश नहीं होना पड़ेगा। हम सरकारी स्तर पर ऐसी नीतियां नहीं बना सकते जहां उन्हें एक देश में प्रताड़ित किया जाए और फिर दूसरे देश में उनको शरणार्थी बनाने का प्रबंध हो। टीएस तिरुमूर्ति ने आगे कहा कि इस मुद्दे पर किसी देश की संप्रभुता की अवधारणा को कम नहीं आंकना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई उस अवधारणा के दायरे में ही हो।

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