कोरोना महामारी के दौर में एक देश ऐसा भी, जहां महज एक मेडिकल यूनिवर्सिटी है, भारत व अन्‍य देश करते हैं मदद

मालदीव में महज एक मेडिकल यूनिवर्सिटी है। इसलिए मालदीव में मेडिकल के छात्रों को भी काम में नहीं बुलाया जा सकता है। ऐसे कठिन परिस्थितियों में मालदीव सरकार जून के अंत तक अन्‍य देशों से मदद की सोच रही है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 02:40 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 02:42 PM (IST)
कोरोना महामारी के दौर में एक देश ऐसा भी, जहां महज एक मेडिकल यूनिवर्सिटी है, भारत व अन्‍य देश करते हैं मदद
कोरोना महामारी के दौर में एक देश ऐसा भी, जहां महज एक मेडिकल यूनिवर्सिटी है। फाइल फोटो।

माले, एजेंसी। दक्षिण एशियाई मुल्‍क मालदीव में एक बार फ‍िर कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि हो रही है। हालांकि, कुछ दिन पूर्व मालदीव सरकार ने कोरोना के मामलों में कमी होने के संकेत दिए थे। देश में कोरोना के बढ़ते मरीजों की संख्‍या से निपटना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। खासकर तब जब मालदीव में स्‍वास्‍थ्‍य संसाधनों का भारी अभाव है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चार लाख की आबादी मालदीव के सबसे बड़े अस्‍पताल में महज 300 बेड है। मालदीव आज भी चिकित्‍सा सुविधाओं को लेकर भारत और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों पर निर्भर है। बता दें कि मालदीव पर्यटकों के लिए बेहद पसंदीदा जगह है, लेकिन पिछले माह यहां पर आबादी और प्रति-व्यक्ति के अनुपात में दुनिया के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। इससे प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों और नर्सों की कमी होने लगी है।

देश में महज एक मेडिकल यूनिवर्सिटी

मालदीव के स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश में महज एक मेडिकल यूनिवर्सिटी है। इसलिए मालदीव में मेडिकल के छात्रों को भी काम में नहीं बुलाया जा सकता है। देश की इन कठिन परिस्थितियों में मालदीव सरकार जून के अंत तक अन्‍य देशों से मदद की सोच रही है। मालदीव सरकार भारत, बांग्‍लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी मुल्‍कों से 40 चिकित्‍सकों और 100 नर्सों की नियुक्‍त करने पर विचार कर रही है।

स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को लेकर भारत व अन्‍य देशों पर निर्भर

हिंद महासागर में1200 से अधिक द्वीप समूह वाले मालदीव की आबादी 5.40 लाख के करीब है। देश में एक बार फिर कोरोना मरीजों के मामले बढ़ने लगे हैं। इस पर वहां प्रशिक्षित स्वास्थ्य-कर्मियों की कमी भी महसूस की जा रही है। मालदीव देश के स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ताओं के लिहाज से भारत और बांग्‍लादेश जैसे देशों पर पूरी तरह से निर्भर है। हालांकि, इस भारत स्‍वयं कोरोना महामारी से जूझ रहा है। इन देशों में पहली ही कोरोना महामारी की वजह से स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं पर बड़ा बोझ हे। ऐसे में भारत के समक्ष भी मालदीव को स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती है।

माले में बड़ी संख्‍या में प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की कमी

देश की राजधानी माले की स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र की हालत काफी खराब है। स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र की अध्‍यक्ष मारिया सई का कहना है कि हमारे पास जनरल वार्ड में 20 मरीजों के बीच केवल एक नर्स हैं। उन्‍होंने स्‍वीकार किया कि देश में बड़ी संख्‍या में प्रशिक्षित कार्यकर्ता नहीं हैं। बता दें कि मालदीव में सबसे बड़े कोरोना उपचार केंद्र में करीब 300 बेड हैं। हालांकि, यहां ऑक्‍सीजन की निर्बाध सप्‍लाई है, लेकिन अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं का यहां बड़ा अकाल है।

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