म्यांमार प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा की G7 विदेश मंत्रियों ने की निंदा

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है जिसपर हिंसक कार्रवाई की खबर है। इस कार्रवाई की निंदा जी-7 समूह में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों ने की और कहा कि इसे लेकर कार्रवाई की जानी चाहिए।

By Monika MinalEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 02:26 PM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 02:26 PM (IST)
म्यांमार प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा की G7 विदेश मंत्रियों ने की निंदा
म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद प्रदर्शन तेज

लंदन, रॉयटर्स। म्यांमार (Myanmar) में तख्तापलट (Coup)  के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ हिंसात्मक कार्रवाई की G7 समूह के विदेश मंत्रियों (Foreign Ministers) ने निंदा की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की हिंसा स्वीकार योग्य नहीं है और इसपर कार्रवाई की जानी चाहिए। 7 धनी देशों के विदेश मंत्रियों ने मंगलवार को अपने संयुक्त बयान में कहा, 'शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर हिंसक कार्रवाई करने वालों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।'  जी-7 समूह में ब्रिटेन (Britain), कनाडा (Canada), फ्रांस (France), जर्मनी (Germany), इटली (Italy) , जापान (Japan) और अमेरिका (US) हैं।

 जुंटा ने कार्रवाई की धमकी दी

 उल्लेखनीय है कि म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया गया। सोमवार को देशभर में दुकानें, कारखाने और दफ्तर बंद रहे। सैन्य शासन के खिलाफ हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे। इस बीच जिनेवा ()में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने म्यांमार के हालात पर आपात सत्र में विचार शुरू कर दिया है।देश में सत्ता में बदलाव के मद्देनजर प्रदर्शनकारियों के हड़ताल के आह्वान को देखते हुए जुंटा ने कार्रवाई की धमकी दी। इसके बावजूद हजारों लोग यंगून में अमेरिकी दूतावास के पास एकत्रित हो गए। म्यांमार में सेना ने एक फरवरी को तख्तापलट कर दिया और आंग सान सू की समेत कई प्रमुख नेताओं को हिरासत में ले लिया था।

 सैन्य तख्तापलट के खिलाफ हड़ताल का आह्वान 

कई सड़कों के बंद होने के बावजूद एक हजार से अधिक प्रदर्शनकारी यंंगून में अमेरिकी दूतावास के पास एकत्रित हो गए, लेकिन सेना के 20 ट्रक और दंगा रोधी पुलिस के वहां नजदीक ही पहुंचने के बाद किसी भी तरह के टकराव से बचने के लिए वे वहां से चले गए। पूर्व में प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा का जिक्र करते हुए सेना ने प्रदर्शनकारियों में आपराधिक गिरोहों के शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस वजह से ही सुरक्षा बलों को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी।

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