जलवायु परिवर्तन से कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा, जिम्बाब्वे के हालात और भी खराब, मर रहे पशु

जलवायु परिवर्तन ने जिम्बाब्वे के हालात और भी खराब कर दिए हैं फिलहाल यहां पशुओं के खाने के लिए चारापा तक नहीं मिल पा रहा है।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Sat, 07 Dec 2019 05:30 PM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 05:30 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन से कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा, जिम्बाब्वे के हालात और भी खराब, मर रहे पशु
जलवायु परिवर्तन से कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा, जिम्बाब्वे के हालात और भी खराब, मर रहे पशु

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दुनिया भर में जिस तरह से जलवायु परिवर्तन देखने को मिल रहा है उसके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। कई देशों में बरसात और पानी से तबाही देखने को मिली तो कई देश अभी सूखे की चपेट में है। उनके यहां बरसात होने के बाद जो हरियाली होनी चाहिए थी वो देखने को नहीं मिल रही है। इस वजह से अब वहां जानवरों को खाने के चारे और घास आदि नहीं मिल पा रही है इससे पशु मर रहे हैं। उनके खाने के साधन उपलब्ध नहीं है। आलम ये है कि अब यहां के जानवर काफी दुर्बल हो रहे हैं। कई की तो मौत हो चुकी है।

सूखे की वजह से जिम्बाब्वे के हालात खराब 

कुछ साल पहले तक जिम्बाब्वे के पशुपालक आराम से गुजर बसर करते थे लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से आज वे संकट में हैं। उनके पालतू जानवर रोजाना मर रहे हैं। देश के पश्चिमी क्षेत्र में काफी संख्या में किसान पशुपालन करते थे लेकिन अब उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि प्यास और भोजन की कमी से जानवर मर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन की वजह से जिम्बाब्वे के किसान लगातार सूखे की मार झेल रहे हैं, इससे निपटने के लिए वे पशुपालन के तरीकों को बदलने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन सभी लोग नए तरीकों को समझ नहीं पा रहे हैं।

जिम्बाब्वे के किसानों की संपदा है जानवर 

किसानों के लिए उनके जानवर ही उनकी संपदा हैं लेकिन सूखे की वजह से आय और बचत कम हो रही है। किसानों का कहना है कि जानवर हमारे बैंक हैं, यदि गायें या अन्य जानवर मर जाते हैं तो उनको बहुत नुकसान होता है। उनके पास कुछ नहीं रह जाता है।

लगातार मर रहे जानवर 

सितंबर और अक्टूबर महीने में जिम्बाब्वे के माटाबेलेलैंड नॉर्थ में सूखे, पानी की किल्लत और चारागाह में कमी की वजह से लगभग 2,600 मवेशियों की मौत हो चुकी है। प्रांत के वेटनरी सर्विस विभाग के अधिकारी पोलेक्स मोयो भी इसे लेकर गंभीर चिंता जता चुके हैं मगर हल किसी को नहीं मिल रहा है। वे कहते हैं कि मुझे लगता है कि नुकसान काफी ज्यादा होगा क्योंकि कई जानवरों की स्थिति बहुत खराब है, साल भर पहले इस अवधि में 766 जानवरों की मौत हुई थी। 

नहीं खरीद पा रहे किसानों के लिए चारा 

पैसे की कमी की वजह से पशुपालक अपने जानवरों के लिए चारा तक नहीं खरीद पा रहे हैं। एक दूसरा बड़ा कारण है कि चारे का कारोबार करने वालों ने इन दिनों उसके रेट भी काफी बढ़ा दिए हैं। जब किसी चीज की मांग बढ़ जाती है तो उसकी कीमतें भी बढ़ जाती हैं।

एक जानवर बेचकर दूसरे को बचा रहे 

अब ये हालात हो गए हैं कि यहां के किसान अपने एक जानवर को बेचकर दूसरे के लिए चारे का इंतजाम कर रहे हैं। गायों के लिए चारे का इंतजाम करने के लिए बकरियां बेचनी पड़ रही है। इसके अलावा गायों को परिवार के खाने के लिए बनाया गया मक्के का भोजन भी दिया जा रहा है। यह भोजन नमक और मक्के को मिलाकर बनाया जाता है।

यहां के किसानों और पशुपालकों का कहना है कि इससे पहले हमने सूखे की वजह से जानवर नहीं खोए थे क्योंकि ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं बनी। यदि जल्द ही बारिश नहीं हुई तो घास और पानी की कमी से उनकी जान भी खतरे में पड़ सकती है। फिलहाल यहां आसपास की सारी नदियां सूख चुकी है ऐसे में पानी की तलाश में जानवरों को दूर ले जाना पड़ता है। सूखे की वजह से किसानों ने अपने जानवरों की संख्या घटानी शुरू कर दी।

तुरंत बारिश हो तो भी घास उगने में लगेगा समय 

गांव के प्रधान और किसानों का कहना है कि यदि तुरंत बारिश होती भी है तो जानवरों की मौत तत्काल नहीं रुकेगी, क्योंकि घास उगने में भी समय लगेगा। हाल के वर्षों में सूखे से निपटने के लिए एक प्रयास भी किया गया। इसके तहत सूखे के समय में जानवरों को बाड़े में बांधकर रखना और वहीं भोजन देना था। शुरुआत में इसके अच्छे नतीजे मिले। 2015 में की गई शुरुआत के दौरान किसानों ने बाजार से खरीदा चारा और जानवरों को खिलाया। बाजार में हष्ट पुष्ट जानवर आए, इस बिक्री से जो लाभ हुआ उससे अन्य जानवरों के पालन पोषण में मदद मिली।

फेल हो गया प्रोजेक्ट 

साल 2016 के अंत तक यह प्रोजक्ट विफल होने लगा। देश में अगस्त महीने में सूखे को आपदा घोषित किया गया। सितंबर में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चेतावनी दी थी कि 2019 में जिम्बाब्वे की अर्थव्यवस्था के सिकुड़ने की संभावना है क्योंकि मुद्रास्फीति 300% तक बढ़ गई है। यह वेनेजुएला के बाद दुनिया में दूसरी सबसे ऊंची दर है। बढ़ती महंगाई, विदेशी मुद्रा की कमी, पानी और बिजली की किल्लत ने देश में वस्तुओं और सेवाओं की लागत बढ़ा दी है। इस वजह से इस देश में समस्याओं का अंबार लग गया है। अब यहां जानवरों के लिए भी जीवन जीना मुश्किल हो रहा है।  

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