नेपाल में पीएम पद की शपथ पर विवाद, ओली ने नहीं दोहराया राष्ट्रपति का बोला वाक्य, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

ओली ने प्रधानमंत्री पद की शपथ के दौरान राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा बोला वाक्य न दोहराकर राष्ट्रपति पद की गरिमा को आघात पहुंचाया है। याचिकाओं में ओली को दोबारा शपथ लेने का आदेश देने की मांग की गई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 10:26 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 10:26 PM (IST)
नेपाल में पीएम पद की शपथ पर विवाद, ओली ने नहीं दोहराया राष्ट्रपति का बोला वाक्य, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
सुप्रीम कोर्ट में चार याचिकाएं दायर। ओली को दोबारा शपथ लेने का आदेश देने की मांग की गई।

काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल में केपी शर्मा ओली की प्रधानमंत्री पद की शपथ पर सवाल उठाने वाली चार याचिकाएं वहां के सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। याचिकाओं में कहा गया है कि ओली ने शुक्रवार को शपथ के दौरान राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा बोला वाक्य न दोहराकर राष्ट्रपति पद की गरिमा को आघात पहुंचाया है। याचिकाओं में ओली को दोबारा शपथ लेने का आदेश देने की मांग की गई है।

प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के दौरान ओली ने नहीं दोहराया राष्ट्रपति का बोला वाक्य

राष्ट्रपति भंडारी ने शुक्रवार को अपने कार्यालय शीतल निवास में प्रधानमंत्री पद की शपथ के लिए ओली को आमंत्रित किया था, लेकिन पद और गोपनीयता की शपथ लेते हुए ओली ने ईश्वर, देश और लोगों को साक्षी मानकर शपथ लेने की जगह केवल देश और लोगों को साक्षी मानकर शपथ ली।

राष्ट्रपति ने संविधान के अनुसार पद और गोपनीयता की शपथ लेने वाला वाक्य बोला था

जबकि राष्ट्रपति ने संविधान में निहित भाषा के अनुसार ईश्वर, देश और लोगों को साक्षी मानकर पद और गोपनीयता की शपथ लेने वाला वाक्य बोला था। नियम और परंपरा अनुसार ओली को यही वाक्य दोहराना था, लेकिन वैसा उन्होंने नहीं किया। ओली (69) ने नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में तीसरी बार शपथ ली है।

ओली द्वारा ली गई शपथ अवैधानिक, राष्ट्रपति पद की गरिमा को आघात पहुंचा

सभी याचिकाओं में कहा गया है कि ओली द्वारा शुक्रवार को ली गई शपथ अवैधानिक है। इसलिए उन्हें दोबारा शपथ लेने के लिए आदेश दिया जाए। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि शपथ ग्रहण के दौरान राष्ट्रपति द्वारा उसी वाक्य को दोबारा बोले जाने पर उसे सही रूप में दोहराने की जगह ओली ने कह दिया- इसकी कोई जरूरत नहीं है। ऐसा कहकर ओली ने राष्ट्रपति पद की गरिमा को आघात पहुंचाया है। इसलिए ओली के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है। ये याचिकाएं वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रकांत ज्ञवाली, लोकेंद्र ओली, केशरजंग केसी, राजकुमार सुवाल, संतोष भंडारी और नवराज अधिकारी ने दायर की हैं।

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