कोरोना संक्रमित सतह छूने से कोविड-19 संक्रमण का खतरा न के बराबर, यूएस की रिसर्च में हुआ खुलासा

एक शोध में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस का संक्रमण किसी संक्रमित जगह को छूने से नहीं फैलता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह से फैलने का दस हजार में से केवल एक ही मामला होता है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 12:35 PM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 12:35 PM (IST)
कोरोना संक्रमित सतह छूने से कोविड-19 संक्रमण का खतरा न के बराबर, यूएस की रिसर्च में हुआ खुलासा
संक्रमित सतह छूने से नहीं फैलता कोरोना वायरस

वाशिंगटन (रॉयटर्स)। पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों ने जहां हर किसी को परेशान कर रखा है वहीं इसमें लगातार हो रहे बदलावों से वैज्ञानिक भी हैरान हैं। आपको याद होगा कि पिछले वर्ष जब ये महामारी ने पूरी दुनिया को अपने शिकंजे में लिया था उस वक्‍त कहा गया था कि यदि कोई कोरोना संक्रमित सतह को कोई छू लेगा तो वो भी इसके संक्रमण की चपेट में आ जाएगा। लेकिन अब इसके उलट एक रिसर्च में कहा गया है कि संक्रमित सतह को छूने से वायरस नहीं फैलता है।

अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के डायरेक्‍टर रोशेल वेलेंस्‍की ने व्‍हाइट हाउस में हुई प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि इसकी आशंका कम ही है कि इस तरह से वायरस फैलता हे। अमेरिकी विशेषज्ञ के मुताबिक ऐसे दस हजार मामलों में से केवल एक ही मामला ऐसा सामने आता है जिसमें कोई इस तरह से संक्रमित हुआ हो। इस तरह से संक्रमित सतह से कोरोना फैलने की दर लगभग न के ही बराबर है।

5 अप्रैल को जारी सीडीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि संक्रमित सतह को छूने से कोई व्‍यक्ति इसकी चपेट में नहीं आ सकता है, लेकिन इसकी दर इतनी कम है कि जिसको मानना मुश्किल है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये वायरस हवा के जरिए अधिक फैल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक हवा में कोरोना संक्रमित व्‍यक्ति की नाक और मुंह से निकली बेहद छोटी बूंदे मौजूद रहती हैं जो दूसरे को संक्रमित करती हैं। सीडीसी ने इसको लेकर एक नई गाइडलाइन भी जारी की है।

आपको बता दें कि जब से कोरोना महामारी का कहर पूरी दुनिया में फैलना शुरू हुआ है तभी से पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इसको जानने के लिए शोध कर रहे हैं। इन शोध के नतीजे लगातार सामने आ रहे हैं और इनका विश्‍लेषण भी किया जा रहा है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के विशेषज्ञ भी इस पर लगातार निगाह बनाकर रखे हुए हैं। नई रिसर्च में जो बातें सामने आती हैं उसके मुताबिक अंतरराष्‍ट्रीय संगठन और दुनियाभर की सरकारें अपने यहां पर जरूरी गाइडलाइन जारी भी करती हैं। सीडीसी की रिपोर्ट में इस बात पर भी जो दिया गया है कि भले ही संक्रमित सतह से सामने आने वाले मामले न के बराबर हैं लेकिन इसको लेकर लापरवाह नहीं हुआ जा सकता है। इसलिए ये जरूरी है कि सतह को स्‍वच्‍छ रखने के पूरे प्रयास किए जाएं। ऐसा करने से सक्रंमण की दर को कम करने में मदद जरूर मिल सकती है।

सीडीसी की रिपोर्ट में कहा गया हे कि कोरोना संक्रमण के बढ़ने के साथ ही अस्पतालों में मरीजों के आने का सिलसिला भी बढ़ गया है। ऐसे में वहां पर सर्फेस ट्रांसमिशन का खतरा बना रहता है। वहीं घर, ऑफिस में इस तरह से सर्फेस ट्रांसमिशन के बढ़ने की आशंका कम होती है। आपको बता दें कि पिछले वर्ष तक ये दावा किया जा रहा था कि सतह तर ये वायरस काफी समय तक जिंदा रह सकता है।

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