जर्मनी के चुनाव में हारी चांसलर मर्केल की पार्टी, ओलाफ ने क्रिसमस तक गठबंधन सरकार बनाने की जताई उम्मीद

ओलाफ ने सोमवार का कहा कि तीन पार्टियों की गठबंधन सरकार क्रिसमस तक बनने की संभावना है। उन्होंने यूरोपीय यूनियन के साथ संबंधों को मजबूत करने का वादा भी किया है। 63 वर्षीय ओलाफ ने कहा जर्मनी में हमेशा से गठबंधन सरकार रही है और यह हमेशा स्थिर रही है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 08:20 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 08:26 PM (IST)
जर्मनी के चुनाव में हारी चांसलर मर्केल की पार्टी, ओलाफ ने क्रिसमस तक गठबंधन सरकार बनाने की जताई उम्मीद
ओलाफ का ग्रींस और फ्री डेमोक्रेट्स (एफडीपी) दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने का लक्ष्य है।

बर्लिन, रायटर। 16 वर्षो से जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की पार्टी यूनियन ब्लाक को आम चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है, जबकि 2005 के बाद पहली बार जीतने वाली सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) के नेता ओलाफ स्कोल्ज गठबंधन सरकार बनाएंगे। उन्होंने क्रिसमस तक सरकार बनाने की उम्मीद व्यक्त की है। कंजरवेटिव यूनियन ब्लाक वर्ष 2005 से सत्ता में है और तब से मर्केल सरकार की प्रमुख हैं। उन्होंने यह एलान किया था कि वह अब चुनाव नहीं लड़ेंगी।

ओलाफ ने सोमवार का कहा कि तीन पार्टियों की गठबंधन सरकार क्रिसमस तक बनने की संभावना है। उन्होंने यूरोपीय यूनियन के साथ संबंधों को मजबूत करने का वादा भी किया है। 63 वर्षीय ओलाफ ने कहा, 'जर्मनी में हमेशा से गठबंधन सरकार रही है और यह हमेशा स्थिर रही है।' उन्होंने यह जवाब करीबी चुनाव नतीजों और दीर्घकालीन गठबंधन सरकार की संभावना के बारे में पूछे जाने पर दिया। ओलाफ का ग्रींस और फ्री डेमोक्रेट्स (एफडीपी) दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने का लक्ष्य है।

जर्मनी के आम चुनाव में एसपीडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी

इस यूरोपीय देश में रविवार को हुए आम चुनाव में एसपीडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। जर्मनी की इस सबसे पुरानी पार्टी को 25.7 फीसद मत मिले। 2017 के आम चुनाव की तुलना में इस बार उसके मतों में पांच फीसद बढ़ोतरी हुई है, जबकि मर्केल की पार्टी को 24.1 फीसद वोट मिले। ग्रींस के खाते में 14.8 फीसद और एफडीपी के हिस्से में 11.5 फीसद मत आए।

कौन हैं ओलाफ स्कोल्ज

वर्ष 2018 में ओलाफ मर्केल की गठबंधन सरकार में शामिल हुए और वाइस चांसलर और वित्त मंत्री बनाए गए। उन्होंने चुनाव से पहले अपनी पार्टी को सरकार से अलग कर लिया। चांसलर बनने की राह पर बढ़ रहे ओलाफ हम्बर्ग शहर के पहले मेयर रह चुके हैं।

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