कोरोना काल में भी नहीं थमा विस्थापन, बॉर्डर सील होने के बावजूद 30 लाख लोग बने रिफ्यूजी, विश्व का हर 96वां इंसान बेघर

कई देशों में युद्ध के हालात और कम होते संसाधन बेघर लोगों के लिए विस्थापन का एक बड़ा कारण है। आंकड़ों के मुताबिक दुनिया का हर 96वां व्यक्ति बेघर है। कोरोना काल में भी विस्थापन में कमी नहीं आई है।

By Amit KumarEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 05:17 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 05:20 PM (IST)
कोरोना काल में भी नहीं थमा विस्थापन, बॉर्डर सील होने के बावजूद 30 लाख लोग बने रिफ्यूजी, विश्व का हर 96वां इंसान बेघर
कोरोना काल में भी नहीं थमा विस्थापन, बॉर्डर सील होने के बावजूद 30 लाख लोग बने रिफ्यूजी। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, एजेंसी। विश्व में बेघर लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। साथ ही विस्थापन भी एक बड़ी समस्या है। कई देशों में युद्ध के हालात और कम होते संसाधन बेघर लोगों के लिए विस्थापन का एक बड़ा कारण है। आंकड़ों के मुताबिक दुनिया का हर 96वां व्यक्ति बेघर है। वहीं, पूरे विश्व में फैली कोरोना महामारी में सभी अंतरराष्ट्रिय बॉर्डर सील कर दिए गए थे। उस दौर में विश्व के अलग-अलग हिस्सों से करीब 30 लाख लोग विस्थापित हुए हैं।

बेघरों की संख्या 50 प्रतिशत

दुनियाभर में शरणार्थीयों की बढ़ती तादाद भारत जैसे घनी आबादी वाले देशों के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी कमिश्नर फिलिपो ग्रांडी के मुताबिक, पूरे विश्व में कोरोना के सख्त लॉकडान के बावजूद 2019 की तुलना में 2020 में 30 लाख लोग विस्थापित हुए। वहीं दुनिया में कई देश ऐसे भी हैं, जिनकी करीब आधी आबादी बेघर होने के कगार पर है। बात अगर सीरिया की करें, जहां पिछले कई सालों से युद्ध के हालात बने हुए है। वहां के 1.1 करोड़ लोग बेघर हो चुके हैं। जो की देश कि करीब 45 प्रतिशत आबादी है। सीरिया, अफगानिस्तान और म्यांमार जैसे देशों में शरणार्थी समस्या एक बड़ा मुद्दा है।

विकासशील देशों पर आर्थिक संकट

कोरोना काल में शरणार्थी एक बड़ी समस्या हैं। क्योंकि विश्व के लगभग सभी देश, कोरोना के कारण आई आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं। देशों में कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीनेशन अभियान चलाए जा रहे हैं। ऐसे में विस्थापन के कराण कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा हमेशा बना रहता है। वैक्सीनेशन के इस दौर में देश की सरकारों को आंकलन करने में भी मुश्किल हो रही है, कि हकीकत में कोरोना के क्या हालात हैं। क्योंकि शरणार्थी देश की आबादी का हिस्सा नहीं हैं और न ही उनकी कोई निश्चित तादाद है।

एक नजर विश्व में विस्थापन के आंकड़ो पर

2019 तक 7.9 करोड़ विस्थापित थे, लेकिन 2020 में ये आंकड़ा 4 फीसदी बढ़कर 8.24 करोड़ हो गया। विश्व के अलग-अलग हिस्सों में करीब 8.24 करोड़ कुल बेघर लोग हैं। दुनिया के कई देशों में करीब 4.57 करोड़ आंतरिक तौर पर विस्थापित हुए। विश्व में कुल रिफ्यूजियों की संख्या 2.64 करोड़ है।

शरण की उम्मीद में हैं 42 लाख लोग

सीरिया: 1962 में पूर्वोत्तर में कई कुर्दों की नागरिकता छीन गई थी। पहले सीरिया में करीब 3 लाख राज्यविहीन कुर्द थे। वहीं देश के 1.1 करोड़ लोग विस्थापित हैं और 67 लाख दूसरे देशों में शरण ले चुके हैं।

अफगान शरणार्थी: विश्व में तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा अफगान शरणार्थी हैं। 2001 में अमेरिका द्वारा देश पर किए गए हमले के बाद, आंतरिक युद्ध ने बहुत बड़ी आबादी को बेघर कर दिया।

विश्व का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट ‘रोहिंग्या’

म्यांमार के रखाइन और बांग्लादेश के चटगांव इलाके से 2014 की जनगणना में 10 लाख रोहिंग्या बाहर हो गए थे। वहीं 2017 में हिंसा के चलते इन्हें बहुत बड़ी आबादी ने पलायन किया।

भारत में रोहिंग्या मुद्दा

भारत सरकार ने साल 2017 में संसद में बताया था कि देश में 14 हजार से ज्यादा रोहिंग्या रह रहे हैं, लेकिन मौजूदा दौर में करीब 40 हजार रोहिंग्या देश में हैं। देश में रिफ्यूजियों की तादाद करीब 2 लाख है।

chat bot
आपका साथी