पूर्वी अफगानिस्तान में तालिबान पर हमला, पांच की मौत

युद्धग्रस्त अफगानिस्तान को 20 सालों तक संभालने के बाद यहां से अमेरिकी सैनिकों की अगस्त में पूरी तरह वापसी हो गई। जिसके बाद तालिबानियों ने यहां अपनी हुकूमत की शुरुआत कर दी है। देश में लोग तालिबान की सत्ता से खौफ में जी रहे हैं।

By Monika MinalEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 01:32 AM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 01:32 AM (IST)
पूर्वी अफगानिस्तान  में तालिबान पर हमला, पांच की मौत
पूर्वी अफगानिस्तान में तालिबान पर हमला, पांच की मौत

काबुल, एपी। अफगानिस्तान के पूर्वी इलाके में बुधवार को तालिबान के वाहनों को एक के बाद एक निशाना बनाया गया। इन हमलों में दो लड़ाकों व तीन आम नागरिकों की मौत हो गई। यह जानकारी वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने दी। अगस्त में अफगान पर तालिबान के काबिज होने के बाद सेे अब तक का यह ताजा हमला है।

जलालाबाद में तालिबानी वाहन बना निशाना

हमले में बंदूकधारी ने जलालाबाद की प्रांतीय राजधानी में लोकल गैस स्टेशन के पास खड़े तालिबान के वाहन पर फायरिंग कर दी। इस हमले में गैस स्टेशन पर काम करने वाला एक स्टाफ और दो लड़ाकों की मौत हो गई। इसमें एक बच्चा भी मारा गया है। वहीं दूसरे वाहन पर विस्फोटिक हमले में एक अन्य बच्चा मारा गया और दो तालिबानी लड़ाके ढेर हो गए। फिलहाल इन हमलों की जिम्मेवारी किसी ने नहीं ली है। 

जलालाबाद में ही तालिबान के वाहन पर एक और बम हमला किया गया जिसमें एक व्यक्ति घायल हो गया। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वह व्यक्ति तालिबान का पदाधिकारी है या नहीं। फिलहाल इन हमलों की किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है । वैसे पिछले हफ्ते ऐसे ही हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी। तालिबान एवं इस्लामिक स्टेट एक दूसरे के कट्टर विरोधी हैं।

बीते  शनिवार और रविवार को हुए हमलों में भी ISIS-खुरासान ने तालिबान को निशाना बनाया था और बाद में इसकी जिम्मेदारी भी ली।  हमलों में तीन वाहनों को निशाना बनाया गया था।  जलालाबाद में हुए इन विस्फोटों में  दो लोगों की मौत हो गई थी  और 20 लोग घायल हुए थे। इस मामले में तालिबान के एक अधिकारी ने बताया था कि मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।

अगस्त में अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही तालिबान ने समूचे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। ISIS खुरासान ने काबुल एयरपोर्ट पर निकासी अभियान के दौरान हुए आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी भी ली थी। इसमें करीब 200 लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में अमेरिका के 13 सैनिक भी शामिल थे। 

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