एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आंग सान सू की से वापस लिया अवॉर्ड, रोहिंग्या मामले पर चुप्पी का आरोप

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने म्यांमार की नेता आंग सान सू की को दिया अपना सर्वोच्च पुरस्कार एंबेसडर ऑफ कॉन्शंस वापस ले लिया है।

By Vikas JangraEdited By: Publish:Tue, 13 Nov 2018 10:24 AM (IST) Updated:Tue, 13 Nov 2018 10:28 AM (IST)
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आंग सान सू की से वापस लिया अवॉर्ड, रोहिंग्या मामले पर चुप्पी का आरोप
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आंग सान सू की से वापस लिया अवॉर्ड, रोहिंग्या मामले पर चुप्पी का आरोप

यंगून, [रायटर]। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने म्यांमार की नेता आंग सान सू की को दिया अपना सर्वोच्च पुरस्कार 'एंबेसडर ऑफ कॉन्शंस' वापस ले लिया है। एमनेस्टी ने सू की पर अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ जारी हिंसा पर चुप्पी साधकर मानवाधिकार के उल्लंघन का समर्थन करने का आरोप लगाया है।

मनेस्टी ने उन्हें यह पुरस्कार 2009 में तब दिया था, जब वह लोकतंत्र की लड़ाई के दौरान अपने घर में नजरबंद थीं। लोकतंत्र की कभी सबसे बड़ी पैरोकार रही सू की को रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यांमार में जारी सैन्य कार्रवाई को लेकर आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा है।

कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भी उनसे अपने पुरस्कार वापस ले लिए हैं। कनाडा ने भी उनसे मानद नागरिकता वापस ले ली है। सुरक्षा बलों पर रोहिंग्या उग्रवादियों के हमले के बाद म्यांमार की सेना ने 2017 में रो¨हग्या के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। तब से लगभग सात लाख रोहिंग्या बांग्लादेश के रास्ते दूसरे देशों में भाग चुके हैं।

संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं ने म्यांमार की सेना पर रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार का आरोप लगाया था। एमनेस्टी ने मंगलवार को जारी बयान में कहा है कि सू की ने रोहिंग्या मुसलमानों के उत्पीड़न पर चुप्पी साध रखी है। यही नहीं उन्होंने सुरक्षा बलों को उनकी जवाबदेही से भी रक्षा की है। संस्था ने कहा है कि जिस मूल्य के लिए वह हमेशा लड़ती रही हैं आज शर्मनाक तरीके से उसी के साथ विश्वासघात कर रही हैं। 

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