अफगानिस्तान में सिखों के सामने दो विकल्प-मुस्लिम बनो या देश छोड़ो

अफगानिस्तान में सिखों की संख्या कभी हजारों में थी। वर्षों के प्रवास और मृत्यु से वे तबाह हो गए। अफगानिस्तान में उन्हें व्यवस्थागत भेदभाव का सामना करना पड़ता है और उन्हें धार्मिक हिंसा का भी शिकार बनाया जाता है।

By Monika MinalEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 03:03 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 03:03 AM (IST)
अफगानिस्तान में सिखों के सामने दो  विकल्प-मुस्लिम बनो या देश छोड़ो
अफगानिस्तान में सिखों के सामने दो विकल्प-मुस्लिम बनो या देश छोड़ो

काबुल, एएनआइ। अफगानिस्तान में लगातार खराब होती सुरक्षा स्थिति के बीच यहां के अल्पसंख्यक सिख समुदाय के पास व्यावहारिक रूप से दो ही विकल्प रह गए हैं-या तो वे सुन्नी मुसलमान बन जाएं या देश छोड़ दें। इंटरनेशनल फोरम फार राइट्स एंड सेक्युरिटी की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। अफगानिस्तान में अशरफ गनी सरकार के पतन से पहले भी सिखों की स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं थी।

रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में सिखों की संख्या कभी हजारों में थी। वर्षों  के प्रवास और मृत्यु से वे तबाह हो गए। अफगानिस्तान में उन्हें व्यवस्थागत भेदभाव का सामना करना पड़ता है और उन्हें धार्मिक हिंसा का भी शिकार बनाया जाता है। इस देश में सिखों की बड़ी आबादी काबुल में रहती है, जबकि इनकी कुछ संख्या गजनी और नांगरहार प्रांतों में भी निवास करती है।

पांच अक्टूबर को 15 से 20 आतंकियों ने गुरुद्वारे में घुसकर गार्डों  को बांध दिया। यह हमला काबुल के कार्त-ए-परवान जिले में हुआ। अफगानिस्तान में सिख अक्सर इस तरह के हमलों और हिंसा का अनुभव करते हैं। अफगानिस्तान में कई सिख विरोधी हमले हो चुके हैं। पिछले साल जून में कथित तौर पर अफगान सिख नेता का अपहरण कर लिया गया। इसका कोई विस्तृत विवरण नहीं मिल सका। मार्च 2019 में एक अन्य सिख का अपहरण कर लिया गया और उसकी हत्या कर दी गई। बाद में अफगान पुलिस ने घटना के संदेह में दो लोगों को गिरफ्तार किया। इसके अलावा कंधार में एक अन्य सिख को अज्ञात बंदूकधारियों ने भून डाला।

अफगानिस्तान में सिख सदियों से रहते आ रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ दशकों से अफगान सरकार भी उनके लिए पर्याप्त आवास का इंतजाम करने में विफल रही है। आम तौर पर सिखों के शक्तिशाली पड़ोसी उनकी संपत्तियों पर अवैध कब्जा कर लेते हैं। 26 मार्च, 2020 को काबुल के एक गुरुद्वारे पर तालिबान के हमले के बाद सिख समुदाय के बहुत सारे लोग भारत आ गए।

शिया समुदाय को जबरन बेदखल कर रहा तालिबान

 ह्यूमन राइट्स वाच ने शुक्रवार को कहा कि पूरे अफगानिस्तान में तालिबान प्रशासन के अधिकारी लोगों को जबरन उनकी संपत्ति से बेदखल कर रहे हैं। उनका मकसद अपने समर्थकों को जमीन वितरित करना है। संगठन ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि जमीन से बेदखल करने में खास तौर से हजारा शिया समुदाय और पूर्ववर्ती सरकार से जुड़े लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान और उसके सहयोगी लड़ाकों ने अक्टूबर महीने में दक्षिणी हेलमंद और उत्तरी बल्ख प्रातों से सैकड़ों हजारा परिवारों को बेदखल किया।

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