अफगान और म्यांमार प्रतिनिधियों ने यूएन में चर्चा से वापस लिए नाम

UNGA के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद की प्रवक्ता मोनिका ग्रेले ने बताया कि आम चर्चा के अंतिम दिन के वक्ताओं की सूची में अफगानिस्तान तथा म्यांमार के नाम नहीं हैं क्योंकि सदस्य देशों ने प्रस्तावित आम चर्चा में सहभागिता से नाम वापस ले लिए।

By Monika MinalEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 01:42 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 01:44 AM (IST)
अफगान और म्यांमार प्रतिनिधियों ने यूएन में चर्चा से वापस लिए नाम
अफगान और म्यांमार प्रतिनिधियों ने यूएन में चर्चा से वापस लिए नाम

संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। अफगानिस्तान और म्यांमार ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 76वें सत्र की उच्चस्तरीय आम चर्चा में सहभागिता से अपने नाम वापस ले लिए। उच्चस्तरीय आम चर्चा के आखिरी दिन सोमवार के वक्ताओं की ताजा सूची के अनुसार अफगानिस्तान और म्यामांर के नाम सूची में नहीं थे। हालांकि अंतरिम वक्ताओं की पिछली सूची में आम चर्चा को संबोधित करने के लिए इन देशों के राजनयिकों के नाम थे। इन्हें दोनों देशों की पूर्ववर्ती सरकारों ने नियुक्त किया था।

जब संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद की प्रवक्ता मोनिका ग्रेले से आम चर्चा के अंतिम दिन के वक्ताओं की सूची में अफगानिस्तान तथा म्यांमार के नाम नहीं होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'हमें सूचना मिली है कि सदस्य देशों ने आज प्रस्तावित आम चर्चा में सहभागिता से नाम वापस ले लिए हैं।' उन्होंने कहा कि म्यांमार ने कुछ समय पहले नाम वापस लिया और अफगानिस्तान ने सप्ताहांत में यह फैसला किया।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने शुक्रवार को कहा था कि सोमवार के लिए सूची में अफगानिस्तान के प्रतिनिधि के तौर पर गुलाम एम. इसकजई का नाम है। तालिबान ने पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस को पत्र लिखकर कहा था कि उनके प्रवक्ता सुहैल शाहीन को संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान का राजदूत बनाया जाए। उसने महासभा के 76वें सत्र में भाग लेने को कहा था।

म्यामांर में सत्ता हस्तांतरण के बाद उसके सैन्य शासकों ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार के राजदूत क्या मुई तुन को हटा दिया गया है और वे चाहते हैं कि उनकी जगह आंग थुरीन को राजदूत बनाया जाए। म्यांमार और अफगानिस्तान में मौजूदा सरकारों ने संयुक्त राष्ट्र में अपने राजदूत मनोनीत किए हैं, जबकि वहां गिर चुकीं सरकारों के स्थायी प्रतिनिधि अभी तक पदस्थ हैं। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में दोनों देशों का प्रतिनिधित्व कौन करेगा, यह फैसला संयुक्त राष्ट्र की परिचय-पत्र समिति को लेना है।

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