अफगान सुरक्षा बलों ने तालिबान से वापस लिया बल्ख के कालदार जिले का कब्जा
बताया गया कि सैन्य अभियान शुरू करने के बाद ANDSF तालिबान आतंकवादियों से कलदार जिले पर नियंत्रण करने में कामयाब रहा। बयान में कहा गया है कि सैन्य अभियान के दौरान तालिबान समूह के लगभग 20 लड़ाके मारे गए और दर्जनों अन्य घायल हो गए।
काबुल, एएनआइ। अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों (ANDSF) ने तालिबान से अफगानिस्तान के बल्ख प्रांत के कालदार जिले पर फिर से कब्जा कर लिया है। स्थानीय मीडिया ने इस बात की जानकारी दी है। बख्तर समाचार एजेंसी ने बताया कि ANDSF ने सोमवार सुबह जिले पर फिर से कब्जा कर लिया है।
राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार, समाचार एजेंसी ने कहा कि एक सैन्य अभियान शुरू करने के बाद, ANDSF तालिबान आतंकवादियों से कलदार जिले पर नियंत्रण करने में कामयाब रहा। बयान में कहा गया है कि सैन्य अभियान के दौरान तालिबान समूह के लगभग 20 लड़ाके मारे गए और दर्जनों अन्य घायल हो गए।
इससे पहले, अफगान सुरक्षा बलों ने तीन जिलों पर फिर से कब्जा कर लिया है। टोलो न्यूज ने रक्षा मंत्रालय के हवाले से बताया कि अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों ने बामियान में सैघन और कहमर्द जिलों और निमरोज में चखनसुर जिले का नियंत्रण वापस ले लिया।
बामियान के गवर्नर ताहिर जुहैर ने कहा, 'इस (शुक्रवार) सुबह शुरू हुए एक ऑपरेशन में, सुरक्षा बलों द्वारा कुछ ही समय में जिलों को वापस ले लिया गया, और जिलों पर देश का झंडा फहराया गया।'
वहीं, कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले समय में अफगानिस्तान में हालात और खराब हो सकते हैं। बताया गया कि अफगानिस्तान के 426 जिलों में से 212 जिलों में तालिबान ने बढ़त बना ली है इसके बावजूद उसके लिए काबुल की सत्ता अभी काफी दूर है। ना सिर्फ अफगानिस्तान की नेशनल सिक्योरिटी फोर्स (एएनएसएफ) तालिबान का जबरदस्त मुकाबला कर रही है बल्कि जिस तरह से अमेरिका, रूस, ईरान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान जैसे देशों में तालिबान को लेकर संशय बना है उसका भी असर आने वाले दिनों में दिखाई देगा।
इसके अलावा भारत का आकलन है कि अगले दो से तीन महीने अफगानिस्तान के लिए अहम होंगे क्योंकि वहां हिंसक वारदातों में भारी बढ़ोतरी होने की आशंका है। अफगानिस्तान के हालात पर नजर रखने वाले कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि 19 जुलाई, 2021 तक वहां के जिन 212 जिलों पर तालिबान के कब्जे की पुष्टि हुई है, वहां भी हालात तेजी से बदल सकते हैं। अफगानिस्तान के जिला मुख्यालय और कस्बे भारत की तरह घनी आबादी वाले नहीं हैं। कुछ जिला मुख्यालयों में तो मुश्किल से गिने-चुने घर और दफ्तर ही मिलेंगे। तालिबान लड़ाकों का कोई भी एक दस्ता वाहन से जाकर वहां अपना झंडा लहरा देता है और फिर उसे अपने कब्जे में होने का बात करता है। लेकिन कुछ ही घंटे में सरकारी सैन्य बल उसे हटा देते हैं।
माना जा रहा है कि तालिबान अगस्त के अंत तक का इंतजार कर रहा है, तब तक वहां से अमेरिकी सेना की पूरी तरह से वापसी हो जाएगी। उसके बाद तालिबान काबुल, कंधार, गजनी, हेलमंद जैसे शहरों पर हमला करने की रणनीति अपना सकता है।