तालिबान की सूची में दर्ज 597 कैदी नहीं होंगे रिहा, अफगानिस्तान सरकार ने ठुकराई मांग

अफगानिस्तान में शांति के लिए फरवरी में अमेरिका और तालिबान के बीच एक समझौता हुआ था। इसके तहत अफगानिस्तान और तालिबान को एक-दूसरे के कैदियों को रिहा करना है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 09:39 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 09:54 PM (IST)
तालिबान की सूची में दर्ज 597 कैदी नहीं होंगे रिहा, अफगानिस्तान सरकार ने ठुकराई मांग
तालिबान की सूची में दर्ज 597 कैदी नहीं होंगे रिहा, अफगानिस्तान सरकार ने ठुकराई मांग

काबुल, एजेंसियां। अफगानिस्तान सरकार ने तालिबान की मांग को ठुकराते हुए 597 कैदियों को रिहा करने से इन्कार कर दिया है। राष्ट्रपति के प्रवक्ता सादिक सिद्दीकी ने कहा कि जेल में बंद इन अपराधियों के आतंकी संगठन तालिबान से जुड़ाव की पुष्टि नहीं हुई। तालिबान ने नई सूची जारी कर सरकार से इनकी रिहाई की मांग की थी।

बता दें कि अफगानिस्तान में शांति के लिए फरवरी में अमेरिका और तालिबान के बीच एक समझौता हुआ था। इसके तहत अफगानिस्तान और तालिबान को एक-दूसरे के कैदियों को रिहा करना है। इसी के तहत जेल में बंद पांच हजार आतंकियों में से चार हजार से अधिक को छोड़ा जा चुका है। बदले में तालिबान ने एक हजार में से 737 बंदियों को मुक्त किया है।

मुल्क में स्थायी शांति के लिए अगली वार्ता अफगान सरकार और तालिबान के बीच होनी है। बातचीत शुरू करने से पहले तालिबान ने अफगान सरकार के सामने शर्त रखी है कि संगठन से जुड़े सभी कैदी रिहा किए जाएं।

आतंकी हमले में चार जवानों की मौत

अफगानिस्तान के बागलान प्रांत में तालिबान आतंकियों के हमले में चार सुरक्षाकर्मी मारे गए। वारदात में दस अन्य घायल भी हुए हैं। आतंकियों द्वारा यह हमला बागलान-समनगान राजमार्ग पर सुरक्षाकर्मियों के काफिले को निशाना बनाकर किया गया था। सेना के एक कमांडर ने बताया कि जवाबी कार्रवाई में तालिबान आतंकियों को भी भारी नुकसान हुआ।

आलोचक साध रहे निशाना

वहीं, दूसरी ओर  तालिबान के साथ हुए समझौते को पूरा करने के लिए अमेरिका जहां पूरा जोर लगाए है वहीं आलोचकों का कहना है कि आतंकी संगठन भरोसे के लायक नहीं है। उनके इस विचार को उस समय और बल मिला जब रूस द्वारा अमेरिकी सैनिकों की हत्या के बदले में आतंकियों को इनाम देने की योजना का पता चला। ट्रंप प्रशासन भले ही इस जानकारी से इन्कार कर रहा है, लेकिन खुफिया अधिकारियों के मुताबिक राष्ट्रपति को 27 फरवरी को ही इस संबंध में जानकारी दे दी गई थी।

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