तालिबान की आतंकियों की चुनौतियों से निपटने की कोशिश, एक महीने में 250 आइएस आतंकी गिरफ्तार

तालिबान के अफगानिस्‍तान पर कब्‍जे के बाद से आतंकी संगठन आईएस- खुरासान को फिर हमलों को लेकर सक्रिय हो गया है। इसकी जीता जागता सबूत हाल के कुछ समय में अफगानिस्‍तान में हुए हमले हैं। आईएस-के लगातार आम आदमियों को निशाना बना रहा है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 01:40 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 01:45 PM (IST)
तालिबान की आतंकियों की चुनौतियों से निपटने की कोशिश, एक महीने में 250 आइएस आतंकी  गिरफ्तार
तालिबान के अफगानिस्‍तान पर कब्‍जे के बाद आतंक के खिलाफ कार्रवाई।(फोटो: प्रतीकात्मक)

काबुल, आइएनएस। अफगानिस्तान के भीतर इस्लामिक स्टेट(आइएस) आतंकी समूह के कारण सुरक्षा चुनौतियां सामने आ रही है। अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार ने दावा किया है कि पिछले एक महीने में देश में 250 इस्लामिक स्टेट (आईएस) आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया है। अधिकारी ने कहा किउनकी कुछ योजनाएँ विस्फोट करने की थीं, लेकिन योजनाएँ विफल रहीं, उनके हमलों को विफल कर दिया गया। यह घटनाक्रम आतंकी समूह की खुरासान शाखा (आईएस-के) द्वारा कुंदुज और कंधार प्रांत में दो शिया मस्जिदों में बम विस्फोटों की जिम्मेदारी लेने के बाद हुआ है।

आईएस और आतंकियों की चुनौतियों से निपटना होगा

मॉस्को-फार्मेट में अफगानिस्तान के भीतर इस्लामिक स्टेट समूह और उत्तरी क्षेत्र में अन्य आतंकवादियों द्वारा पेश की जा रही सुरक्षा चुनौतियों से निपटने पर जोर दिया गया। लावरोव ने कहा, अफगानिस्तान से मादक पदार्थों की तस्करी भी एक बड़ी चुनौती है। रूस ने अफगानिस्तान के पड़ोस में उजबेकिस्तान और ताजिकिस्तान में संयुक्त अभ्यास की एक शृंखला भी आयोजित की है।

अफगानिस्तान में स्थिरता के लिए वार्ता जरूरी 

तालिबान के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए रूस वर्षों तक काम कर चुका है। इसके लिए उसने भले ही 2003 में समूह को आतंकवादी संगठन नामित कर दिया हो, लेकिन इसे कभी भी सूची में शामिल नहीं किया। रूसी कानून के मुताबिक ऐसे समूहों के साथ कोई भी संपर्क दंडनीय है लेकिन विदेश मंत्रालय ने कहा कि तालिबान से उसकी वार्ता अफगानिस्तान को स्थिर करने में मदद के लिए जरूरी है।

अपने किए वादों को पूरा करे तालिबान

मॉस्को-फार्मेट में तालिबान के अफगानिस्तान में सरकार बनाने के बाद के हालात पर चर्चा हुई। इसमें दस देशों के सदस्य हिस्सा ले रहे हैं जिसमें से एक भारत भी है। अफगानिस्तान में तालिबान के बाद मानवीय संकट शुरू होने को लेकर उसे दी जाने वाली मदद पर भी आने वाले दिनों में चर्चा होनी है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा, हमारा मकसद तालिबान को उनके वादे पूरे करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

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