पेरू में नाजका लाइन्स की पहाड़ी पर 2000 साल पहले बनाई गई आकृति देखकर हैरान हुए लोग

पेरू में स्थित इस रेगिस्तान पर ऐसी कई सारी आकृतियां बनी हुई हैं जिसे देखकर हर कोई हैरान हो सकता है। इनमें से कुछ आकृतियां इंसानों पौधों और जानवरों की मालूम पड़ती हैं। इसके अलावा रेगिस्तानी सतह पर सीधी रेखाएं भी दिखाई पड़ती हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 04:59 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 09:40 AM (IST)
पेरू में नाजका लाइन्स की पहाड़ी पर 2000 साल पहले बनाई गई आकृति देखकर हैरान हुए लोग
पेरू में स्थित इस रेगिस्तान पर ऐसी कई सारी आकृतियां बनी हुई हैं। (फाइल फोटो)

पेरू, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। हम सभी ने अब तक इंसानों द्वारा बनाई गई मू्र्तियों और आकृतियों के बारे में देखा और सुना है, ये दोनों चीजें अपने आप में आकर्षक और खूबसूरत है। दक्षिणी पेरू में नाजका लाइन्स रेगिस्तान है। यहां पहाड़ों पर कई आकृतियां बनाई गई है। ये आकृतियां किसने बनाई ये आज भी रहस्य बना हुआ है। इन नई छवियों के बाद शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि उन्हें इस क्षेत्र की संस्कृति के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी मिल सकेगी। ऐसी छवियों को गढ़ने की संस्कृति तकरीबन 1000 साल पुरानी मानी जा रही है।

200 ईसा पूर्व से मौजूद रेखाएं 

पेरू में स्थित इस रेगिस्तान पर ऐसी कई आकृतियां बनी हुई हैं, जिसे देखकर हर कोई हैरान हो सकता है। इनमें से कुछ आकृतियां इंसानों, पौधों और जानवरों की मालूम पड़ती हैं। इसके अलावा रेगिस्तानी सतह पर सीधी रेखाएं भी दिखाई पड़ती हैं। ऐसा माना जाता है कि ये रेखाएं 200 ईसा पूर्व से यहां मौजूद हैं। ये रेखाएं करीब 500 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई हैं। हेलिकॉप्टर की मदद से इन्हें और साफ-साफ देखा जा सकता है। एक बात ये भी कही जाती है कि यहां दूसरे ग्रहों से आए यूएफओ उतरे थे, जिसके चलते सतह पर इतनी संरचनाएं बनी थीं। 

एक नई कलाकृति चर्चा का केंद्र 

इन दिनों यहां दिखी एक नई कलाकृति को लेकर चर्चा हो रही है। ये कलाकृति एक बड़ी बिल्ली की है। पेरू में एक पहाड़ी पर 40 गज की दूरी तक फैली ये नई छवि देखने को मिली है। इस कलाकृति में बिल्ली की पूंछ, आंख और अन्य चीजें साफतौर पर दिख रही हैं। पुरातत्वविदों ने इस नाजका लाइन्स को एक यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित कर रखा है। 

लोगों का आना-जाना प्रतिबंधित 

पेरू के संस्कृति मंत्रालय ने यहां लोगों का आना-जाना प्रतिबंधित कर रखा है, लोग इस आकृति को दूर से ही देख सकते हैं। मंत्रालय का कहना है कि यदि लोगों को इन आकृतियों के आसपास जाने दिया गया तो वो वहां पहुंचकर इनके साथ कुछ न कुछ करेंगे जिससे ये खराब हो जाएंगी। इस वजह से इनका वहां आना-जाना प्रतिबंधित किया गया है। पुरातत्वविदों के मुताबिक यहां पर काफी संख्या में चित्र बने हुए थे इनमें से कुछ चित्र समय के साथ धुंधले पड़ गए हैं या मिट गए हैं।

हवाई सर्वेक्षणकर्ता ने खोजा था इलाका 

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि खोज से पता चलता है कि एक बार फिर इस साइट की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत है। नाजका लाइन्स को पहली बार 1927 में पेरू के एक हवाई सर्वेक्षणकर्ता ने खोजा था। उसने सबसे पहले चिड़ियों, एक बंदर और एक ओर्का की छवियाँ देखीं थीं। यूनेस्को ने 1994 के बाद से नाजसा और पाल्पा की लाइन्स एंड ज्योग्लिफ्स को वर्ल्ड हेरिटेज साइट नामित किया है।

माना जाता है कि बिल्ली की इस तरह की छवि नाजका में पहले से मौजूद किसी भी प्रागैतिहासिक भूगोल की तुलना में पुरानी है। पेरू की प्रमुख मोहिनी इसला कहती हैं कि यह काफी चौंकाने वाला है कि हम अभी भी नए आंकड़े ढूंढ रहे हैं लेकिन हम यह भी जानते हैं कि वहां और भी बहुत कुछ पाया जा सकता है। 

पहचान बताने के लिए उकेरी गई थी पहाड़ों पर आकृत्ति 

माना जाता है कि उस समय के लोगों ने ये डिजाइन तब बनाए गए थे जब वो अपने लोगों को किसी जगह पर मिलने के बारे में जानकारी देना चाहते होंगे। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि जो लोग यात्रा करते थे उन्होंने ये संकेत मार्कर के तौर पर लिख दिए थे जो आज शोध का विषय बने हुए हैं। साल 2019 में जापान के शोधकर्ताओं ने उपग्रह फोटोग्राफी और थ्री डी इमेजिंग की सहायता से इस साइट पर 140 से अधिक नए जियोग्लाइफ का पता लगाया था।

कोरोना महामारी के दौरान जारी रहा काम 

कोरोनोवायरस महामारी के दौरान भी साइट पर अनुसंधान और संरक्षण कार्य जारी था, उस दौरान सभी देशों ने अधिकांश पर्यटक स्थल बंद कर दिए थे। पुरातत्वविद् और कर्मचारी मिराडोर नेचुरल पर काम कर रहे थे। वो संरक्षित स्थल का एक महत्वपूर्ण बिंदु था। जब उन्होंने टीले की सफाई की तो एक बिल्ली के शरीर को दिखाने वाली स्पष्ट रेखाएँ उभरीं।

संस्कृति मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जो बिल्ली की आकृति अब दिखाई दे रही है वो गायब होने वाली था क्योंकि यह काफी ढलान पर स्थित है। प्राकृतिक कटाव के प्रभाव से यह काफी प्रभावित हुई है। महामारी के दौरों को बंद करने से पहले, आगंतुकों को केवल विमानों और लुकआउट बिंदुओं से लाइनें और आंकड़े देखने की अनुमति थी। पेरू के एक अधिकारी और पुरातत्वविद लुइस जैमे कास्टिलो ने कहा कि यदि लोग ऐसी जगहों पर पहुंच जाते हैं तो वो उन रेखाओं पर चलते हैं जिससे नुकसान होता है, इससे ये पुरातात्विक चीजें खत्म हो जाती हैं।

नाजका लाइंस से अलग 

नाजका लाइंस से हटकर ये पुरातात्विक आकृतियां रेगिस्तान में न होकर पहाड़ी इलाकों में बनी हुई हैं। इस वजह से इन्हें मैदान से देखा जा सकता है। स्थानीय लोग इनके बारे में लंबे समय से जानते हैं।

पुरानी सभ्यता के राज 

पल्पा की मिट्टी पर मिले ये चित्र हजारों साल पुराने हैं। माना जा रहा है कि इन्हें इंसानों द्वारा 500 ईसा पूर्व से ईसा की 200वीं सदी के बीच बनाया गया होगा। ये पाराकास सभ्यता और टोपारा सभ्यता से जुड़े माने जाते हैं।

सांस्कृतिक मान्यताएं 

वैज्ञानिकों का अनुमान था कि नाजका लाइंस का संबंध जन्म या प्रजनन से जुड़े रीति रिवाजों से रहा होगा। इससे अलग अब वैज्ञानिक यह भी कह रहे हैं कि जब मौसम में उतार-चढ़ाव होता होगा, स्थानीय लोग ऐसी छवियां बनाते होंगे। जो एक लंबे समय के बाद इंसानों को देखने को मिली है।

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