Iran Politics News: ईरान में आखिर किसके पास है सत्‍ता की चाबी, जानें क्‍या होगी नए राष्‍ट्रपति की भूमिका, अगस्‍त में लेंगे शपथ

ईरान में सत्‍ता में बदलाव होने से क्‍या ईरान के आंतरिक और वाह्य हालात में कोई बदलाव आएगा। जानकारों का कहना है कि ईरान में असल सत्‍ता का केंद्र कहीं और है। राष्‍ट्रपति केवल देश का चेहरा भर है। शासन की असल बागडोर राष्‍ट्रपति के पास नहीं होती है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 03:44 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 04:12 PM (IST)
Iran Politics News: ईरान में आखिर किसके पास है सत्‍ता की चाबी, जानें क्‍या होगी नए राष्‍ट्रपति की भूमिका, अगस्‍त में लेंगे शपथ
ईरान में आखिर किसके पास है सत्‍ता की चाबी। फाइल फोटो।

नई दिल्‍ली ऑनलाइन डेस्‍क। ईरान में नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति अगस्‍त में शपथ लेंगे। ऐसे में यह अटकलें तेज हो गई हैं कि ईरान में सत्‍ता में बदलाव होने से क्‍या ईरान के आंतरिक और वाह्य हालात में कोई बदलाव आएगा। जानकारों का कहना है कि ईरान में असल सत्‍ता का केंद्र कहीं और है। राष्‍ट्रपति केवल देश का चेहरा भर है। शासन की असल बागडोर राष्‍ट्रपति के पास नहीं होती है। 

ईरान में खामेनेई का दबदबा  प्रो. हर्ष पंत का कहना है कि ईरान में सर्वोच्च नेता अयातुल्ला सैयद अली खामनेई का दबदबा है। देश के नीति निर्माण से लेकर विदेश नीति तक के अहम फैसले खामनेई दफ्तर से लिए जाते हैं। ईरान की वास्‍तविक सता खामनेई के पास है। वहीं से सब कुछ नियंत्रित होता है। उन्‍होंने कहा कि वह ईरान के सवोच्‍च नेता हैं। देश में सर्वोच्‍च नेता और उनका दफ्तर ही दीर्घकालिक योजनाओं और नीतियों को अंतिम रूप देता है। प्रो. पंत ने कहा कि राष्‍ट्रपति के पास प्रेस के सामने बोलने के लिए कुछ तो हो यह सोचकर कुछ हिस्‍से जाहिर नहीं किए जाते हैं। अमेरिका के साथ ईरान के संबंधों के लिहाज से राष्ट्रपति पद पर नए चेहरे का आना महत्वपूर्ण काफी अहम माना जा रहा है। उनका कहना है कि ईरान में नए प्रशासन के प्रति अमेरिकी दृष्टिकोण से ईरान को लाभ होगा। व‍िशेष रूप से परमाणु वार्ता के संबंध में। गौरतलब है कि ईरान और पश्चिमी देशों के बीच 2015 में एक परमाणु समझौता हुआ था। इसके बाद ईरान पर लगे सख्‍त प्रतिबंध हटा लिए गए थे। हालांकि, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में अमेरिका को इस सौदे से बाहर कर लिया था। ट्रंप ने ईरान पर फिर से आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे।  अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन की हुकूमत अब फिर से समझौते में शामिल होने का रास्ता खोज रही है। उन्‍होंने कहा कि बाइडन प्रशासन की ओर से जो संकेत मिल रहे हैं उससे यह प्रतीत होता कि ईरान को राहत मिलने वाली नहीं हे। इस बाबत अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 8 जून को दिया गया यह बयान काफी अहम है। उन्‍होंने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि ईरान पर कई पाबंदियां लागू रहेंगी। ऐसे में यह कहना ये कहना मुश्किल है कि ईरान के अगले राष्ट्रपति परमाणु करार को लेकर बातचीत को किस दिशा में ले कर जाएंगे। इसके अलावा उनकी प्राथमिकता होगी कि वह इराक में मुस्तफा अल कादमी के बदले एक ऐसे शख्‍स को प्रधानमंत्री बनाएं जो ईरान के प्रति वफादार हो।

 ईरान के प्रति क्‍या होगा अमेरिका का दृष्टिकोण

प्रो. पंत का कहना है कि बाइडन का प्रशासन ईरान में कट्टर शासन प्रणाली के पक्ष में नीति अपनाएगा। नवंबर 2019 में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने रईसी समेत आठ अन्य लोगों पर प्रतिबंध लगाए थे। अमेरिका का मानना था कि ये सभी आयतुल्लाह अली खामनेई के बेहद करीबी हैं और मानवाधिकारों के उल्लंघन में शामिल हैं। इसकी एक प्रमुख वजह यह भी है कि रईसी सत्तारुढ़ कट्टरपंथी अभिजात वर्ग से संबंधित हैं और देश के सर्वोच्च धार्मिक नेता के करीबी भी हैं। इसलिए यह संभावना अधिक है कि ईरान के प्रति अमेरिकी दृष्टिकोण में बदलाव नहीं के बराबर हो।

13वें राष्ट्रपति बनेंगे रईसी

बता दें कि रईसी ने हाल में हुए राष्ट्रपति चुनावों में जीत हासिल कर है। 62 फीसद वोटों के साथ जीत दर्ज करने के बाद रईसी देश के 13वें राष्ट्रपति बनेंगे। रईसी इसी साल अगस्त महीने की शुरुआत में पद की शपथ लेंगे। यह माना जा रहा रहा है कि देश की घरेलू राजनीति और विदेशी मामलों में उनका दखल रहेगा।

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