ईरान परमाणु वार्ता में पैदा हुआ गतिरोध, पहले प्रतिबंध हटाने की मांग से अमेरिका असहमत
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रित करने के लिए साल 2015 में किए गए ऐतिहासिक परमाणु समझौते को दोबारा लागू कराने को लेकर रविवार को ईरान और दुनिया के पांच शक्तिशाली देशों के राजनयिकों के बीच वार्ता हुई।
वाशिंगटन, रायटर। परमाणु समझौते के सिलसिले में अमेरिका और ईरान की वार्ता में गतिरोध पैदा हो गया है। अमेरिका ने कहा है कि ईरान की कुछ प्रमुख मांगों से वह असहमत है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलीवान ने कहा है कि समझौते में शामिल होने का फैसला ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को लेना है। अमेरिका न्यायोचित तरीके से समझौते में फिर से शामिल होने के लिए तैयार है।
एबीसी टेलीविजन से बातचीत में सुलीवान ने कहा, 2015 में हुए समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए दोनों पक्षों ने काफी दूरी तय की लेकिन कुछ मसलों को लेकर असहमति है। ईरान अमेरिकी प्रतिबंधों को पहले हटवाना चाहता है जिसके लिए हम तैयार नहीं है। परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए विएना में अप्रैल से वार्ता चल रही है। इसमें अमेरिका की ओर से ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के अधिकारी वार्ता कर रहे हैं।
इस समझौते में शामिल अन्य देश रूस और चीन हैं। अमेरिका इस समझौते से 2018 में अलग हो गया था और उसने ईरान पर कड़े प्रतिबंध भी लगा दिए थे। तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते को बेकार बताया था और कहा था कि यह ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने में कामयाब नहीं है। एक सवाल के जवाब में सुलीवान ने कहा, मामले में इब्राहीम रईसी के राष्ट्रपति बनने से कुछ नहीं होगा। इस बाबत अंतिम फैसला सर्वोच्च नेता खामेनेई को लेना है।
इस बीच इजरायल ने कट्टरपंथी न्यायाधीश इब्राहिम रईसी को ईरानी राष्ट्रपति चुने जाने की निंदा की है। साथ ही कहा है कि उनकी सत्ता 'क्रूर जल्लादों का शासन' होगा। उसने वैश्विक बिरादरी से अपील है कि उन्हें ईरान से एक नए परमाणु समझौते पर वार्ता नहीं करनी चाहिए। बता दें कि मानवाधिकारों के हनन के चलते अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहे ईरान में हुए राष्ट्रपति चुनाव में रईसी ने जीत हासिल की है।
इजरायल के प्रधानमंत्री बनने के बाद बुलाई गई पहली कैबिनेट बैठक में नफ्ताली बेनेट ने कहा कि रईसी की जीत ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के प्रभाव के चलते सुनिश्चित हो सकी है। वर्चुअल बैठक में बेनेट ने विश्व बिरादरी से अपील करते हुए कहा कि किसी भी तरह का परमाणु समझौता करने से पहले रईसी के पुराने ट्रैक रिकार्ड को ध्यान में रखना होगा।
नफ्ताली बेनेट ने कहा, 'क्रूर जल्लादों के शासन को कभी भी सामूहिक विनाश के हथियार रखने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इस मुद्दे पर इजरायल का रुख कभी नहीं बदलेगा।' बता दें कि मानवाधिकार समूह रईसी पर वर्ष 1988 में हजारों राजनीतिक बंदियों को फांसी पर चढ़ाने का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी इस पर किसी तरह की सफाई नहीं दी।