मलबे में जिंदा तो था लेकिन पांव टूट चुका था, नहीं आते तो थम सकती थी इसकी सांसें!

वर्षों से गृहयुद्ध की आग में जल रहे सीरिया से फिर ऐसी तस्‍वीर सामने आई है जिसको देखकर हर किसी का शर्मसार होना लाजिमी हो जाता है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Fri, 15 Nov 2019 12:46 PM (IST) Updated:Sat, 16 Nov 2019 01:41 AM (IST)
मलबे में जिंदा तो था लेकिन पांव टूट चुका था, नहीं आते तो थम सकती थी इसकी सांसें!
मलबे में जिंदा तो था लेकिन पांव टूट चुका था, नहीं आते तो थम सकती थी इसकी सांसें!

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। ये फोटो इदलिब में हुई एयर स्‍ट्राइक (Russia air strike in Syrian village Shinan) के बाद ध्‍वस्‍त हुई इमारत के मलबे से जिंदा निकाले गए एक छोटे-से बच्‍चे की है, जिसे वहां काम कर रही संस्‍था व्‍हाइट हेल्मेट के कार्यकर्ताओं ने अन्‍य लोगों की मदद से निकाला था। मलबे में काफी नीचे दबे इस बच्‍चे को कई घंटों की मशक्‍कत के बाद बचाया गया, लेकिन तब तक इसका एक पांव टूट चुका था और सांसें अटक-अटक कर चल रही थीं। रेस्‍क्‍यू वर्कर तुरंत इस बच्‍चे को लेकर पैदल ही अस्‍पताल की तरफ भाग निकले। अस्‍पताल में तुरंत उसके पांव पर प्‍लास्‍टर लगाया गया और ऑक्‍सीजन लगा दी गई। अस्‍पताल में इस बच्‍चे को लाने वाले रेस्‍क्‍यू वर्कर्स हर पल उसकी सलामती की दुआ कर रहे थे। आखिरकार उनकी दुआ कबूल हुई और उसकी जान बच गई। 

बदहाली का बयां करती ये तस्‍वीर 

यह तस्‍वीर सीरिया की बदहाली को बयां करती है। जिस हमले में यह बच्‍चा घायल हुआ वह इसी सप्‍ताह रूस ने किया था। अमेरिका के सीरिया से बाहर जाने के बाद रूस एक बार फिर से यहां पर पांव पसार रहा है। जहां तक हमले की बात है तो वह पहले भी इस तरह के हमलों को अंजाम देता रहा है। आपको बता दें कि रूस सीरियाई सरकार के समर्थन है, जबकि अमेरिका सीरिया के राष्‍ट्रपति बशर अल असद (Syria President Bashar al Assad) सरकार के खिलाफ है। अमेरिका चाहता है कि बशर सरकार इस्‍तीफा दे और देश में नए सिरे से चुनाव हों और सरकार  का गठन हो। हालांकि, फिलहाल ये दूर की कौड़ी ही नजर आती है। अमेरिका ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। 

मौत के मुंह में समाती जिंदगी

सीरिया में अब तक इस तरह की एयर स्‍ट्राइक में कई जिंदगियां मौत के मुंह में चली गई हैं। यहां पर लगातार हो रहे हमलों में अब तक लाखों लोग मारे जा चुके हैं और इतने ही घायल हुए हैं। इनमें हजारों की तादाद में बच्‍चे भी शामिल हैं। बीते दिनों जो रूस ने हमला किया उसमें कई बहुमंजिला इमारतें पलभर में मलबे में बदल गईं और कई हंसती-खेलती जिंदगियां इसमें दफन हो गईं। रूस द्वारा किए गए इस हमले में स्‍कूल समेत घर, मैटरनिटी होम को निशाना बनाया है। इसमें 12 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि  40 अन्‍य घायल हो गए थे। आपको बता दें कि पिछले छह माह के अंदर संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा (United Nation) स्‍थापित किए गए करीब 60 मेडिकल फैसिलिटी सेंटर को भी निशाना बनाया गया है। यह जानकारी यूएन ह्यूमन राइट्स (UNHRC) प्रवक्‍ता की तरफ से सामने आई है। इस तरह के हमलों की वजह से ही सीरिया के लाखों लोग यहां से पलायन कर चुके हैं।

आपको याद है ना ओमरान 

इस बच्‍चे की फोटो देखकर ओमरान दखनिश की याद आ जाती है। धूल में अटे इस बच्‍चे के चेहरे को भी आप कभी नहीं भूल पाएंगे। इस बच्‍चे को बचाने का वीडियो सोशल मीडिया पर जबरदस्‍त तरीके से वायरल हुआ था। इस बच्‍चे को अगस्‍त 2016 में एक एयर स्‍ट्राइक के बाद ध्‍वस्‍त हुई इमारत के मलबे से बचाया गया था। यह हमला सीरियाई शहर अलेप्पों में किया गया था। इस हमले में इसका बड़ा भाई मारा गया था, जबकि व्‍हाइट हेल्मेट कार्यकर्ताओं ने इसको बचा लिया था। वीडियो में यह बच्‍चा एक एम्बुलेंस की सीट पर बैठा था और धूल से सने अपने हाथ-पैरों को बड़ी मासूमियत से देख रहा था। इस बच्‍चे की तस्‍वीर से भी सीरिया की बदहाली को पूरी दुनिया ने देखा था। हालांकि, लोगों को इस बात की खुशी जरूर हुई कि इसको समय रहते बचा लिया गया और इसका हाल ऐलन की तरह नहीं हुआ। 

नहीं भूल सकते ऐलन की ये तस्‍वीर 

सितंबर 2015 में यह तस्‍वीर जब दुनिया के सामने आई तो पूरी दुनिया हिल गई। यह तस्‍वीर तीन वर्षीय ऐलन कुर्दी की थी। इस बच्‍चे का शव तुर्की के समुद्री तट पर मिला था। इसके पिता ने सीरिया से दूर कहीं बेहतर जिंदगी बिताने का फैसला लिया था। हालांकि, किस्‍मत ने उसका साथ नहीं दिया और उसकी नाव हादसे का शिकार हो गई। ऐसे में अपने पिता की गोद में महफूज ऐलन छिटक कर समुद्र में जा गिरा और हमेशा के लिए सो गया। तुर्की के तट पर इस बच्‍चे को पहली बार 18 वर्षीय बारमैन आदिल दिमिरतास ने देखा था। वह एक होटल में काम करते हैं। ऐलन को देखते ही उसके रोंगटे खड़े हो गए थे।

आदिल ने देखा था पहली बार शव 

आदिल ने बताया कि उसकी आंखें खुली थीं जिसको बाद में उसने बंद कर दिया। ऐलन की तस्‍वीर को अपने कैमरे से लेने वाले फोटोग्राफर निलुफर देमीर भी अपने ऊपर काबू नहीं रख पाए थे। उन्‍होंने बताया कि एक पत्रकार के तौर पर यह उसका काम जरूर था, लेकिन इस फोटो ने उन्‍हें बुरी तरह से हिलाकर रख दिया था। इस फोटो के सामने आने के बाद दुनिया के कई देशों के बीच सीरिया समेत दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों को अपने यहां पर शरण देने की बहस छिड़ गई थी। इस एक फोटो के सामने आने के बाद ब्रिटेन के तत्‍कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन, समेत फ्रांस और जर्मनी ने शरणार्थियों को अपने यहां पर शरण देने के लिए दरवाजे खोल दिए। इसके अलावा यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जीन क्लॉड जंकर ने भी इसी तरह की पेशकश की थी।   

खुशहाल जिंदगी की आस में मिली मौत 

इस तस्‍वीर का सीरिया से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन ये तस्‍वीर सीरिया की तरह की बदहाल दूसरे देशों और यहां से दूसरी जगह शरण लेने की मजबूरी को जरूर बयां करती है। यह तस्‍वीर ऑस्कर अल्बर्टो मार्टिनेज रमिरेज और उसकी दो वर्ष की बेटी वालेरिया की है। इनका शव इसी वर्ष जून में अमेरिका-मैक्सिको बॉर्डर की रियो ग्रांडे नदी के किनारे पर मिला था। इस तस्‍वीर को मैक्सिको के एक अखबार ने प्रकाशित किया था जिसके बाद शरणार्थियों का मुद्दा फिर गरमा गया था।  

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