विदेशी जायरीनों को इस साल भी हज यात्रा की अनुमति नहीं, सऊदी सरकार का बड़ा फैसला
कोरोना महामारी के बीच हज यात्रा को लेकर सऊदी अरब ने बड़ी घोषणा की है। सऊदी अरब के इस फैसले से दुनिया के मुख्तलिफ मुल्कों में उन लोगों को मायूसी हाथ लगी है जो इस बार हज यात्रा की उम्मीद लगाए बैठे थे।
रियाद, एजेंसियां। कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते सऊदी अरब सरकार ने लगातार दूसरे साल हज यात्रा पर बंदिश लगाई है। इस साल भी विदेशी लोगों को हज के लिए सऊदी अरब आने की अनुमति नहीं होगी। केवल 18 से 65 साल के सऊदी नागरिकों को ही हज के लिए मक्का आने की अनुमति होगी। यह जानकारी सरकारी सऊदी प्रेस एजेंसी (एसपीए) ने दी है।
सऊदी अरब के हज और उमरा मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि उन्हीं सऊदी नागरिकों को मक्का आने की अनुमति होगी, जिन्होंने कोविड-19 महामारी से बचाव वाली वैक्सीन लगवा ली है या फिर वे पूरी तरह से स्वस्थ और सुरक्षित हैं। आने वाले लोग किसी अन्य संक्रामक रोग से भी पीडि़त नहीं होने चाहिए।
देश के स्वास्थ्य मंत्री तौफीक अल-राबिया ने कहा है कि ये फैसले हज को सुरक्षित तरीके से संपन्न कराने के लिहाज से लिए गए हैं। दुनिया में वैक्सीन की उपलब्धता के बावजूद कई देशों में रिकॉर्ड संख्या में लोग कोरोना संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। कोरोना वायरस के नए-नए वैरिएंट पैदा हो रहे हैं। इन बातों के मद्देनजर हज यात्रा को सीमित रखने का फैसला किया गया है।
मुस्लिमों के लिए जीवन में एक बार हज करना सबसे बड़ी धार्मिक जिम्मेदारी मानी जाती है। इसके लिए महामारी से पहले हर साल 25 लाख लोग मक्का और मदीना आते थे। एक सप्ताह चलने वाली इस धार्मिक प्रक्रिया से सऊदी अरब सरकार को हर साल करीब 12 अरब डॉलर (करीब 90 हजार करोड़ रुपये) की आय होती थी।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल भी सऊदी अरब ने कोरोना महामारी को देखते हुए ऐसा ही फैसला लिया था। पिछले साल सऊदी अरब में पहले से रह रहे लगभग एक हजार लोगों को ही हज के लिए चुना गया था। इसमें 160 देशों के श्रद्धालुओं को वार्षिक हजयात्रा में शरीक होने की अनुमति थी। सामान्य परिस्थितियों में हर साल लगभग 20 लाख मुसलमान हज करते हैं। बीते दिनों हज और उमरा मंत्रालय ने एक गाइडलाइंस जारी की थी।
इसके मुताबिक अब केवल वही लोग अल मस्जिद अन नवावी और मस्लिज अल हरम में प्रवेश पा सकेंगे जो वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके होंगे। पिछले साल अक्टूबर महीने में सऊदी अरब ने विदेशी तीर्थयात्रियों के लिए बंद 'उमरा' (इस्लामिक तीर्थ यात्रियों का मक्का आना) को कुछ शर्तों और पाबंदियों के साथ अनुमति दी थी।