मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों की कम होगी आवाज, ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए सऊदी सरकार का हुक्म
सऊदी अरब ने बीते वर्षो में महिलाओं को सार्वजनिक जीवन के कई अधिकार दिए हैं। इनमें उन्हें ड्राइविंग का अधिकार स्टेडियम में जाकर पुरुषों के खेल देखने का अधिकार और गीत-संगीत के कार्यक्रमों में शिरकत जैसे अधिकार शामिल हैं।
रियाद, एएफपी। सऊदी अरब बदलाव के दौर से गुजर रहा है। वहां की मस्जिदों से नमाज के लिए लाउडस्पीकर के जरिये सुनाई देने वाली आवाज को धीमा करने का शाही सरकार का फरमान जारी हो गया है। दुनिया के इस सबसे ज्यादा रुतबे वाले देश में कट्टरता की निशानियों को खत्म करते हुए सुधारवादी कदम उठाने की मुहिम चल रही है। मस्जिदों से लाउडस्पीकरों की आवाज कम करने का फैसला भी उनमें से एक है।
सऊदी अरब ने बीते वर्षो में महिलाओं को सार्वजनिक जीवन के कई अधिकार दिए हैं। इनमें उन्हें ड्राइविंग का अधिकार, स्टेडियम में जाकर पुरुषों के खेल देखने का अधिकार और गीत-संगीत के कार्यक्रमों में शिरकत जैसे अधिकार शामिल हैं। सऊदी अरब को इस्लामी जगत में सबसे पवित्र देश माना जाता है क्योंकि वहां पर सबसे ज्यादा महत्व वाले धार्मिक स्थल हैं। वहीं पर पैगंबर का जन्म हुआ और वहीं उन्होंने ज्यादातर वक्त गुजारा। सऊदी अरब मुस्लिमों की कट्टरपंथी वहाबी सोच वाला देश माना जाता है, जहां पर महिलाओं और पुरुषों के लिए इस्लाम धर्म से जुड़े सख्त कानून लागू हैं। तमाम विद्वान मुस्लिम कट्टरता के लिए वहाबी सोच को जिम्मेदार मानते हैं। इस्लामी आतंकवाद के लिए भी यही सोच जिम्मेदार मानी जाती है। सऊदी अरब इसी धार्मिक कट्टरता को त्यागने की राह पर आगे बढ़ रहा है। तेल संपन्न यह देश अब उदारीकरण की राह पर चलते हुए अपनी नई पहचान बनाना चाहता है। बदलाव का यह रास्ता क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में तय किया जा रहा है।
लाउडस्पीकर पर दिए जाने वाले धार्मिक उपदेशों का समय किया जाए कम
सऊदी सरकार ने मई में एक आदेश जारी कर सभी मस्जिदों को अपने लाउडस्पीकरों की आवाज कम करने के लिए कहा है। कहा है कि लाउडस्पीकर की आवाज उनकी अधिकतम सीमा की एक तिहाई ही रखी जाए। साथ ही लाउडस्पीकर पर दिए जाने वाले धार्मिक उपदेशों का समय कम किया जाए। सरकार ने ऐसा देश में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए किया है। सऊदी अरब के शहरों-कस्बों में बड़ी संख्या में मस्जिदें हैं। इन मस्जिदों में लाउडस्पीकर लगे हैं। अजान के वक्त और बाकी के समय इनसे उठने वाली आवाज वातावरण में भारी शोर पैदा करती है। इसका दुष्प्रभाव मस्जिदों के आसपास रहने वाले लोगों पर महसूस किया गया है। इसके चलते कुछ मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटवाने की मांग भी उठी हैं। इसके साथ ही रेस्टोरेंटों में बजने वाले संगीत पर भी रोक लगाने की मांग उठी है। कई शहरों में जायरीनों की आमद-रफ्त के चलते बड़ी संख्या में रेस्टोरेंट हैं। इन रेस्टोरेंट में संगीत बजाए जाने को लेकर अक्सर विरोध जताया जाता है। सुधार की प्रक्रिया में इन रेस्टोरेंट से उठने वाली आवाज के लिए भी जल्द सीमा तय होने की उम्मीद है।