Iran Presidential Election 2021: ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग शुरू, इब्राहिम रायसी की दावेदारी मजबूत!

Iran Presidential Election 2021 आज यानी 18 जून 2021 को ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग शुरू हो गई है। इस चुनाव में देश के सर्वोच्च नेता आयातोल्लाह अली खामनेई (Ayatollah Ali Khamenei) ने पहला वोट डाल कर औपचारिक तौर पर मतदान प्रक्रिया शुरू की।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 10:13 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 10:13 AM (IST)
Iran Presidential Election 2021: ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग शुरू, इब्राहिम रायसी की दावेदारी मजबूत!
ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग शुरू, इब्राहिम रायसी की दावेदारी मजबूत!

तेहरान, रॉयटर्स। Iran Presidential Election 2021: आज यानी 18 जून 2021 को ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग शुरू हो गई है। इस चुनाव में देश के सर्वोच्च नेता आयातोल्लाह अली खामनेई (Ayatollah Ali Khamenei) ने पहला वोट डाल कर औपचारिक तौर पर मतदान प्रक्रिया शुरू की। मतदान स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजे शुरू हुई।

न्यायपालिका प्रमुख इब्राहिम रायसी की दावेदारी मजबूत

इन चुनावों में न्यायपालिका प्रमुख इब्राहिम रायसी (Ebrahim Raisi) की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। जानाकरी के लिए बता दें कि रायसी को ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामनेई का काफी नजदीकी माना जाता है। ईरान के लोगों में निवर्तमान राष्ट्रपति हसन रूहानी के प्रशासन के प्रति निराशा एवं रोष के कारण चुनाव में इस बार कट्टरपंथियों की स्थिति मजबूत नजर आ रही है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान में कट्टरपंथी नेता इब्राहिम रईसी मौलवियों के उस छोटे से समूह का हिस्सा हैं, जिसने 1988 में तत्कालीन सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह रुहोल्लाह खोमैनी के आदेश पर ईरान-इराक युद्ध के बाद बंदी बनाए गए हजारों राजनीतिक कैदियों को मारने के आदेश पर दस्तखत कर दिए थे। इस दौरान वह राजधानी तेहरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशन कोर्ट में एक प्रॉसिक्यूटर के पद पर थे। इसके बाद अमेरिका ने रईसी पर प्रतिबंध लगा दिए।

बता हें कि रूहानी के नेतृत्व में ईरान ने दुनिया के शक्तिशाली देशों के साथ 2015 में परमाणु समझौता किया था। इस दौरान ईरान को खुद पर लगे प्रतिबंधों में छूट के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करना था, लेकिन 2018 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश को इस समझौते से बाहर निकाल लिया था। जिसके बाद समझौते को ले कर स्थिति अस्पष्ट रही। इसके बाद ईरान की पहले से खराब अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की बिक्री बंद होने, महंगाई बढ़ने और मुद्रा के कमजोर होने से और खस्ताहाल हो गई।

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