बाइडन से मिलने के इच्छुक नहीं ईरान के नए राष्ट्रपति रईसी, परमाणु करार के उल्लंघन का लगाया आरोप
ईरान में भले सत्ता बदलने जा रही है लेकिन अमेरिका के प्रति इस देश के रुख में कोई बदलाव आने का संकेत नहीं दिख रहा है। इब्राहिम रईसी के पहले प्रेस कांफ्रेंस से यही बात जाहिर होती है।
तेहरान, एजेंसियां। ईरान में भले सत्ता बदलने जा रही है, लेकिन अमेरिका के प्रति इस देश के रुख में कोई बदलाव आने का संकेत नहीं दिख रहा है। इस पश्चिम एशियाई देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के पहले प्रेस कांफ्रेंस से यही बात जाहिर होती है। उन्होंने न सिर्फ अमेरिका पर परमाणु समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया बल्कि यह भी कहा कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलने के इच्छुक नहीं है।
परमाणु समझौते को पूरा करे अमेरिका
रईसी ने यह भी कहा कि यूरोपीय यूनियन (ईयू) अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में नाकाम रही। अमेरिका और ईयू को परमाणु समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना चाहिए।
अमेरिका ने लगा रखा है प्रतिबंध
गत शुक्रवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में कट्टरपंथी रईसी भारी मतों से निर्वाचित हुए। वह देश के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामनेई के करीबी और मुख्य न्यायाधीश हैं। उन पर मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है। वह अगस्त में मौजूदा राष्ट्रपति हसन रूहानी की जगह लेंगे।
प्रतिबंधों को हटाने की मांग
60 वर्षीय रईसी ने चुनाव जीतने के बाद सोमवार को पत्रकारों से पहली बार बातचीत में कहा, 'हमारी विदेश नीति सिर्फ परमाणु करार तक सीमित नहीं है। हम दुनिया के साथ बात करेंगे।' उन्होंने कहा, 'मैं अमेरिका से आग्रह करता हूं कि वह समझौते को लेकर अपनी प्रतिबद्धताओं पर लौट आए और ईरान पर लगाए गए सभी प्रतिबंधों को हटा ले।'
खुद को बताया मानवाधिकारों का रक्षक
रईसी ने खुद को मानवाधिकारों का रक्षक बताया है। उन्होंने यह जवाब उस सवाल पर दिया, जिसमें वर्ष 1988 में करीब पांच हजार लोगों को फांसी पर लटकाए जाने में उनकी भूमिका के बारे में पूछा गया। रईसी उस दौर में उस समिति में शामिल थे, जिसने राजनीतिक कैदियों को फांसी की सजा दी थी।
इस कारण है तनातनी
वर्ष 2015 में ईरान ने अमेरिका समेत छह महाशक्तियों के साथ परमाणु समझौता किया था। 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते से अपने देश को अलग कर लिया था और तेहरान पर कई सख्त प्रतिबंध लगा दिए थे। इसके बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ गया। इस समझौते को पुनर्जीवित करते के लिए गत अप्रैल से प्रयास किए जा रहे हैं।